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साक्षात्कार

कथाकार भगवानदास मोरवाल से डॉ. एम. फीरोज अहमद की बातचीत

मुझे ऐसा लगता है कि पुरुषों द्वारा सदियों से स्त्री का दमन होता रहा है, ऐसी रस्मों में गाली उसकी परिणति है। इस रस्मों का किसी धर्म से कोई लेना-देना है, ये समाज में पनपी उन्हीं चलनों का अतिक्रमण है, जिन्हें स्त्रियों पर ज़बरन थोपा गया है। यहाँ एक बात कह दूँ कि अश्लीलता वास्तव में हमारी समझ और नज़र का फ़र्क है। 

उषा गांगुली से साक्षात्कार

उषा गांगुली, जन्म- 1945, जोधपुर आप कोलकाता में रहकर हिंदी रंगकर्म करती हैं। आपने 1976 में ‘रंगकर्मी’नामक अपनी नाट्य –संस्था की स्थापना की। उषा गांगुली द्वारा अभिनीत एवं निर्देशित प्रमुख नाटकों में महाभोज, लोककथा, होली,खोज, वामा, बेटी आई, मय्यत, रुदाली, मुक्ति और काशीनामा इसके अलावा आपने ब्रेख्त के नाटक ‘मदर करेज’ को ‘हिम्मतमाई’ के नाम से निर्देशित एवं स्वयं माँ की भूमिका को निभाया। ‘माँ’ की सजीव भूमिका के लिए 1982 -83 में सरकार द्वारा आपको ‘लेबदेब’ पुरस्कार से नवाजा गया। आपको 1998 में आपको संगीत नाटक अकादमी ने श्रेष्ठ निर्देशक के रूप में पुरस्कृत किया साथ ही उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी ने सफ़दर हाशमी पुरस्कार से नवाजा।

साक्षात्कार- लन्दन के बहुचर्चित प्रवासी साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा जी से डॉ.सुमन सिंह की बातचीत

वासी साहित्य जगत का चर्चित, प्रतिष्ठित और बहुपठित नाम है 'तेजेन्द्र शर्मा '। लन्दन में रहकर विगत कई वर्षों से साहित्य-सेवा के साथ-साथ कथा -यूके की स्थापना करके हिन्दी-उर्दू और पंजाबी साहित्य के प्रचार -प्रसार में तेजेन्द्र जुटे हैं।

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