मेरे चन्द हाइकु
सत्या शर्मा ‘ कीर्ति ‘
गुजरे पल
उग आती झुर्रियाँ
उम्र डाली पे ।।
दौड़ता अश्व
जीवन पथ पर
मन सारथी ।।
पूछते बच्चे
आँगन औ तुलसी
मिलते कहाँ ।।
दिन गौरैया
चुगती जाती दानें
उम्र खेत का ।।
नये सृजन
रचे परमेश्वर
धरा चाक पे ।।
हमारा मन
कमजोर पथिक
उदास आत्मा ।।
किसान
चिलचिलाती
जीवन की ये धूप
वर्षा तू कहाँ ।।
जीवन पथ
सिर्फ संघर्षरत
रोये किसान ।।
सूखी है आँखे
धरती है उदास
इंद्र नाराज ।।
फटी जमींन
फसल हुए नष्ट
जीवन व्यर्थ ।।
गीला है मन
बस एक उपाय
खुद की हत्या ।।
कड़वा सच
होते ही हैं अनाथ
सारे किसान ।।
टपके लहू
आसमानी गोद से
हैरान आँखे ।।
सत्या शर्मा ‘ कीर्ति ‘
नाम :– सत्या शर्मा ‘ कीर्ति ‘
शिक्षा :- एम . ए , एल एल . बी
विधा :– हाइकु , छंदमुक्त , लघुकथा , लेख
सम्प्रति :– स्वतंत्र लेखन
पता :– राँची ( झारखण्ड )