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मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुबह की चहचहाती चिड़िया
मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुलगती दहकती  चिंगारी 
मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
जमीन में घुलते और बीजते बीजो को
उगूंगा मैं
फोड़कर वही पथरीली धरती
जहाँ खिलते है , बंजर – कांटे -झाड़ियां
2
मेरे पीठ की लकीरों से
क्यों लड़ने की ताकत को आजमाते हो
मेरे गूंगेपन से
क्यों मेरे आवाज को आजमाते हो
मेरी ढीली मुठ्ठी से 
क्यों मेरे बाजुओं को आजमाते हो
मेरे जख्म की गहराई से 
क्यों मेरे दर्द की इंतहा आजमाते हो
दोस्त !!
ज्वालामुखी की चुप्पी से
उसकी आग मत आजमाओ
समुद्र की स्थिरता से
उसके तूफान को मत आजमाओ
धधक उठेगी तुम्हारी दुनिया
इस चिंगारी की ताकत मत आजमाओ