हिंदी की उप - भाषा होने के कारण इसकी ध्वनि व्यवस्था में कुछ तात्त्विक समानता और असमानता होना स्वाभाविक है | इस भाषा में ध्वनि के वही दो रूप स्वर और व्यंजन में विभाजित है जो हिंदी भाषा में माने जातें हैं जिसका वर्णन एवं विश्लेषण विवेचित है |
यहाँ राष्ट्र (संघ), राज्य और भाषा के संवैधानिक संबंधों के साथ-साथ उनसे जुड़ी समस्याओं को समझने की कोशिश की गई। जिसमें विभिन्न विद्वानों के विचारों को व्यक्त किया गया।