हिंदी और मराठी की समान रूपी भिन्नार्थी शब्दावली
सुषमा लोखंडे, मराठी भाषा अध्यापिका, म. गां. अं. हिं. वि. वर्धा, (महाराष्ट्र) ई-मेल - Susoju456@gmail.com
भारत एक बहुभाषी देश है । संसार के भाषा परिवार में से भारत में मुख्यत: चार परिवारों की भाषाएं बोली जाती हैं । जिसमें भारोपीय, द्रविड़, चीनी एवं एशियाटिक इनका समावेश है । हिंदी और मराठी भारोपीय परिवार में बोली जाने वाली भाषाएं हैं । दोनों आधुनिक भाषाएं हैं, इन भाषाओं के साथ संस्कृत का संबंध ऐतिहासिक है । हिंदी और मराठी को संस्कृत परिवार की भाषाएं कहा गया है । दोनों भाषाएं संस्कृतोदुभव मानी जाती हैं । दोनों भाषाओं की लिपि देवनागरी है, दोनों पर संस्कृत भाषा का अत्यधिक प्रभाव होने के कारण दोनों में समानताएं मिलती हैं । पर न्ड भाषा एक व्यवस्था है । हर भाषा की अपनी विशिष्टता होती है और इस विशिष्टता के कारण एक भाषा दूसरी भाषा से कई रूपों में अलग-अलग होती है । हिंदी और मराठी दोनों संस्कृतोद्भव भाषाएं हैं, उनकी लिपि एक है, दोनों एक ही परिवार से हैं । फिर भी प्रवृत्ति अलग होने के कारण दोनों भाषाओं में असमानताएं भी मिलती हैं । इसका अर्थ यह हुआ दो भाषाओं में केवल आंशिक समानता की आशा की जा सकती है ।
हिंदी और मराठी दोनों आर्य परिवार की दो प्रमुख भाषाएं हैं । दोनों पर संस्कृत का अधिक प्रभाव होने के कारण दोनों में समानताएं मिलना स्वाभाविक भी है, पर दोनों में भाषाओं की प्रवृत्ति अलग होने के कारण दोनों में असमानताएँ भी मिलती हैं , ये असमानताएँ भाषा के प्रत्येक स्तर पर दिखाई देती हैं । जहां समानताएँ हैं वहां अन्य भाषा शिक्षण में कोई कठिनाई नहीं होती किंतु जहां दोनों भाषाओं में अंतर है, वहां अन्य भाषा शिक्षण में व्याघात उपस्थित होता है । हिंदी तथा मराठी में शब्द स्तर पर कहीं समानता है तो कहीं पर्याप्त अंतर है । प्रत्येक भाषा का वैभव उसकी शब्द संग्रह से सिद्ध होता है, शब्द के माध्यम से ही हम जीवन संबंधी नए विचार, नए अनुभव प्रस्तुत कर सकते हैं । शब्द विश्व की समस्त भाषाओं का आधार है ।
हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं की शब्दावली विभिन्न स्रोतों से आई है । आर्य परिवार की भाषाएं होने के कारण दोनों पर संस्कृत का अधिक प्रभाव है । उत्तरी भारत में मुसलमानों का कई शताब्दियों तक शासन होने के कारण अरबी, फारसी का प्रभाव भी दोनों भाषाओं पर दिखायी देता है। अंग्रेजों ने भारत पर दो शताब्दियों तक शासन किया, उस समय संपूर्ण भारतीय भाषाओं पर अंग्रेजी का प्रभाव पड़ा । इस प्रकार दोनों भाषाओं की शब्दावली के विभिन्न स्रोत हैं । इसी कारण दोनों भाषाओं में समानताओं के साथ विषमताएं भी हैं । शब्दस्तर पर ये समानताएं और विषमताएं मुख्य रूप से मिलती हैं । दोनों भाषाओं की शब्दावली, ध्वनि व्यवस्था, उच्चारण प्रक्रिया, व्याकरणिक प्रक्रिया, उपसर्ग, प्रत्यय, वाक्य रचना आदि पर अरबी-फारसी तथा अंग्रेजी का प्रभाव पड़ा ।
अन्य भाषा-शिक्षण में हिंदी-मराठी के अध्येता को शब्दों के अर्थगत, उच्चारणगत एवं वर्तनीगत विषमताओं से अवगत कराना आवश्यक हो जाता है । दोनों भाषाओं में कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका रूप समान है परंतु शब्दों के अर्थ भिन्न हैं, दोनों भाषाओं में संस्कृत, प्राकृत, अंग्रेजी, अरबी, फारसी, पुर्तगाली, डच, कन्नड, तमिल, गुजराती, उडिया आदि भाषाओं के शब्द मिल जाते हैं । दोनों भाषाओं में कई ऐसे शब्द है जिनकी वर्तनी समान है परंतु दोनों का उच्चारण अलग है । कुछ ऐसे भी शब्द है जिनकी वर्तनी भिन्न होते हुए भी दोनों भाषाओं में उनका उच्चारण समान है उदाहरण – घोड़ा । दोनों भाषाओं में कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनकी वर्तनी और उच्चारण में थोड़ा-थोड़ा अंतर है । कुछ अपवादों को छोड़कर मराठी में शब्द के अंत में ह्स्व ‘इ’ कार तथा ‘उ’ कार को दीर्घ लिखने की प्रथा है, हिंदी में वही शब्द ह्स्व लिखे जाते हैं ।
हिंदी तथा मराठी में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनकी वर्तनी तथा स्रोत एक होने पर भी उनके अर्थ में भिन्नता है । मराठी सीखने वाले हिंदी भाषा के छात्र जब अपनी भाषा में रूढ़ अर्थ को ध्यान में रखते हुए ऐेसे शब्दों का जब मराठी में प्रयोग करते हैं तब शब्दों के साथ-साथ वाक्य का अर्थ भी बदल जाता है ।
उदाहरण – त्याला शिक्षा दे
हिंदी भाषी विद्यार्थी उक्त वाक्य में ‘शिक्षा’ शब्द का स्वभाषागत रूढार्थ ही लेते हैं । लेकिन मराठी में ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ ‘सजा’ देना है । इससे पूरे वाक्य का अर्थ बदल जाता है । इस अर्थ परिवर्तन से बचने के लिए हिंदी भाषी विद्यार्थी को ऐसे शब्द जिनका रूप समान होते हुए भी दोनों भाषाओं में जिनके अर्थ भिन्न है उनका परिचय देना आवश्यक हो जाता है । नीचे कुछ ऐसी शब्दावली दे रहें हैं जो समान रूपी हैं लेकिन जिनके अर्थ में भिन्नता के कारण शब्दों के प्रयोग में होने वाली गलतियों से बचा जा सकता है –
शब्द हिंदी अर्थ मराठी अर्थ
अंदाज ढंग, ढब, अदा अनुमान
अक्का माता, माँ दीदी, बड़ी बहन
अकाली सिक्खों का एक संप्रदाय असमय
अगाऊ पेशगी, आगेका पहले का
अटक रुकावट, रोक, अड़चन गिरफ्तार
अनाड़ी अज्ञान, अकुशल अनपढ़
अपेक्षा किसी की तुलना में आकांक्षा, चाह
अभ्यास किसी काम को बार-बार करना, आदत अध्ययन
अमल क्रिया, व्यवहार सत्ता, शासन
अवांतर बीच में स्थित, मध्यवर्ती अन्य, दूसरा
अहेर शिकार भेंट, सौगात
आई आना, इस क्रिया का स्त्री वाची माता, माँ
भूतकालीन रूप
चारी आचारवान, सदाचारी रसोइया
आपण बाजार, दुकान हम, आप
आर शत्रुता, घृणा अजगर,सुस्त व्यक्ति
आला ताक, ताखा आया
आली सखी, सहेली आयी
इयत्ता परिमित, सीमा वर्ग, कक्षा
उजाड ध्वस्त, उजड़ा हुआ वीरान, निर्जन
उतराई उतरना कृतज्ञ
उतारा नदी पार करने की क्रिया अनुच्छेद
उपहार भेंट नास्ता
उपाधी उपद्रवी, उत्पाती पदवी
उशी चाहना, इच्छा तकिया
उशीर खस देर, विलंब
ऊन भेंड़ के कोमल बाल धूप
ऊब उबना गरमाहट
ओटा परदे के लिए बनी दिवार चबूतरा
ओटी कपास ओटने की चरखी स्त्री की गोद भरना
ओला हिम के कण गीला
ओस शबनम निर्जन,विरान
ओसरी अवसर, बारी बरामदा
कंस कांसा, एक माप कोष्ठक
कट काट, तराश षडयंत्र
कटाव काट व्यवस्थित, स्थायी
कड गूंगा, कर्कश पक्ष लेना
कड़ा सख्त, कठोर पहाड की ढलान
कणा पीपल रीढ
कद देह की ऊँचाई, लंबाई रेशम की धोती
कदर आरा, अंकुश मान, योग्यता
कपाट दरवाजा अलमारी
कपार कपाल पहाड़ की खोंड़र
करडा कड़ा, कठोर धूमिल
करील एक कटीला पेड़ करेगा
कल बीता हुआ या आने वाला दिन झुकाव
काऊ कभी, कोई कौआ
काठ चट्टान, पत्थर किनारा
कात भेंड़ों के बाल काटने की कैंची कत्था
काना एकाक्ष खड़ी पाई
काल अकाल बीता हुआ दिन, कल
काला कोयले के रंग का श्रीकृष्ण चंद्र का प्रसाद
कासार तालाब चूडि़या पहनाने वाला
किल्ला खूंटा, मेख गढ़, किला
किल्ली खूंटी चावी,चाभी
कीस थैली बुरादा
कुठला अनाज रखने का बड़ा पात्र कहाँ का
कुंडी पत्थर का बना गोला गमला
कुशी फाल करवट, गोद
केला केला किया
कोठी हवेली अनाज का भंडार
कोड संकेत प्रणाली कोढ़
खचित अंकित जडाऊ
खड़ा सीधा ऊपर को उठा हुआ, लंबरूप कड़क
खत पत्र खाद
खवा कंधा खोया, खोवा
खाक धूल, मिट्टी जलकर नष्ट होना
खांड मिसरी टुकड़ा
खात खोदना गड्ढा
खाली रिक्त नीचे
खून लहू हत्या
खोटा सदोष झूठा
खोल ‘खोलना’ क्रिया का रूप गहरा
खोली तंग कोठरी गहराई, कमरा
गड़बड़ अव्यवस्था धूमधाम
गत बीता हुआ अवस्था, दशा
गर्द धूल घना
गनीमत बड़ी बात लूप
गड़ ओट, घेरा किला
गप्प इधर-उधर की बाते चुपचाप
गलका छाले जैसा फोड़ा शोर, कोलाहल
गश्ती पहरेदार आदेश-पत्र
गार गाली, गड्ढा ठंढा
गुंगी न बोलने वाली मूर्च्छा, नशा
गुंडी गेंडुरी, सूत की लच्छी बटन
गेंद कपडे, रबर से बना खेल का गोला गेंदे का फूल
गोठा सलाह गोशाला
घट घड़ा नुकसान, घटाई
घट्ट घाट मजबूत
घड़ी घड़ी, समय बताने वाला यंत्र कपडे को
घाट गर्दन का निचला भाग घॉटी
घाम कठिनाई पसीना
घाल ग्राहक को तौलने के बाद दी जाने वाली जीच डालना
घास तृण, पशुओं का चारा निवाला
चकना चकित काना
चक्का पहिया थक्का
चकाचक तर-बतर चमकना
चटक चमक, चटकने की क्रिया आदत
चटकन तमाचा तुरंत
चट्टा चेला, शिष्य फफोले का दाग
चरक दूत चरख (गन्ने का)
चरी चरागाह खंदड, छोटी सी गली
चाव एक तरह का बॉस चबा
चारा उपाय घास
चिकित्सा इलाज पूछताछ
चीनी शक्कर चीन देश का व्यक्ति
चूल बाल, चोटी चूल्हा
चेष्टा प्रयत्न हास्य, विनोद
चोख तेजी शुद्ध, निर्मल
चौपट तबाह चौगुना
जंग लड़ाई मोरचा
जकात दान, खैरात आयातकर
जड़ मूल भारी, वजनदार
जवस घास अलसी
जरब आघात छाप, प्रभाव
जलसा सभा, बैठक नृत्य–गान की सभा
जाड़ा शीतकाल मोटा
जाते जाना क्रिया का रूप चक्की
जरी सुनहरे तारों का बना हुआ यदि
जिला चमक, जिला जिसे
जीना जिंदा रहना सीढियां
झाड़ झाड़ने की क्रिया पेड़
झाला राजपूतों का भेद हो गया
झोका तेज हवा झूला, दोला
झोपा गुच्छा ‘सोना’ क्रिया का रूप
टर घमंड मजाक, अपमान
टोक रोक नोंक
टोला छोटी बस्ती फटका
ठेका अड्डा ताल, ठेका
डाल वृक्ष की शाखा बांस की टोकरी
ढेरी राशि बड़ा पेट
तड़क तड़कना सीधा, एकदम
तमा रात्रि पर्वाह
तलखी कडुवाहट, उग्रता घमका, ऊमस
तलफ नष्ट, तबाह सनक
तसला बड़ा और गहरा बरतन वैसा
तह परत समझौता, सुलह
ताई ताऊ की पत्नी बड़ी बहन
ताक पर छाछ
ताप गरमी बुखार
तालीम शिक्षा व्यायाम शाला
तुबा कद्दू लकड़ी की तुंबी
तेरा तुम्हारा तेरह
तो तब वह
थर स्थल, जगह स्तर
थारा तुम्हारा आश्रय
थोर थोड़ा, अल्प श्रेष्ठ
दंड डंडा अर्थदण्ड
दगड लड़ाई का डंका पत्थर
दरार फटा हुआ धाक, आतंक
दरी बिछाने की दरी घाटी
दव जंगल में स्वत: लगने वाली आग हिम, ओस
दहा ताजिया दस
दक्षता निपुणता, कुशलता सावधानी
दाखला प्रवेश उपमा, उदाहरण
दादा पिता के पिता बड़ा भाई
दार दरार दरवाजा
धावा हमला, चढाई क्रिकेट के रन
धड़ा बाट, तुला पाठ्, नियम
नवल नवीन आश्चर्य, कारक
नाती पोता रिश्ता
नाव नौका नाम, नौका
निकाल निकालना परिणाम
नेम नियम निशान
पचनी जंगली निंबू पचन होना
पत्ता पेड़ का पत्ता पता
पतरला म्यान वापस आ गया
परवा चिंता फिक्र
पाट विस्तार लकडी का आसन
पाना प्राप्त करना नट खोलने का यंत्र
पाशी वरूण, यम पास, समीप
पीक पान का थूक फसल
पिल्ला कुत्ते का बच्चा छोटा बच्चा
पीठ पीठ आटा
प्रकृति निसर्ग स्वास्थ्य
प्रद्यात मारण परंपरा
फाटका सट्टा फटा हुआ
फिर बाद में घूमना
बकला छिलका व्यर्थ की बड़-बड़
बगल समीप, पार्श्व कॉख
बस पर्याप्त बैठ
बस्ता बंधा हुआ गल्ला
बरा वट वृक्ष ठीक, अच्छा
बक्षीस ईनाम परितोषिक
बाट वजन, पत्थर कलंक, दोष
बोट नाव उंगली
भट सैनिक उपाध्याय, ब्राम्हण
भटई झूठी तारीफ बैंगन का एक प्रकार
भाऊ प्रेम, भाव भाई
मान परिभाषा, प्रतिष्ठा गर्दन, प्रतिष्ठा
मुरब्बी पालन करने वाला अनुभवी
मूल जड़ संतान
मेला मेला मर आया
मैल मल मील, आधा कोस
मोटा स्थूल बड़ा
या संदेह, अथवा अगर
यात्रा प्रवास तीर्थयात्रा
रंगत हालत, दशा सजावट
राई सरसों वृक्षों की पंक्ति
राग रंजन क्रोध
राजी सहमत प्रसन्न
राजीनामा समझौता त्यागपत्र
रूसवा अपमानित रूठन, नाराजगी
रोप रोपण छोटा पौधा
लगन मन, प्रवृत्ति का किसी ओर लगाना विवाह
लादी बोझ फरसी
वर्दी पोशाक संदेशा
वर चुनाव , पसंद आर्शिवाद, दुल्हा
वारा किफायत हवा
वीज बीया ,मूल कारण बिजली
वीजन पंखा बैठक
वीटा एक खेल ईंट का बहुवचन
शिस्त मछली पकड़ने का कांटा अनुशासन
शिक्षा शिक्षण सजा, दंड
शेर गजल के दो चरण एक प्रमाण
संचार भ्रमण काया प्रवेश
सदर छाती, सीना सीमा, हद
सराव ढक्कन अभ्यास
सरी छोटा सरोवर एक अभूषण
स्वस्थ्य तंदुरूस्त शांत, चुपचाप
सही दोषरहित हस्ताक्षर
साठा ऊख, ग न्ना संग्रह
साठी धान की एक किस्म के लिए
संसार दुनिया गृहस्थी
साथ सामप्ति मलाई
साधी साधक सामान्य
सारा संपूर्ण, समस्त लगान
साहित्य वाड्.मय सामग्री
सुना एक पेड़ बहुएं
हट्टी दूकान, बाजार हठीला, जिद्दी
हरकत गति, चेष्ठा रोकना, रूकावट
हार पराजय माला
होल अवस्था आपदा, कष्ट
अक्षत अखंडित कुमकुम मिश्रित चावल के दाने
दोनों भाषाओं की प्रकृति अलग-अलग है इसलिए दोनों भाषाओं में समानता के साथ-साथ असमानताएं भी प्रत्येक स्तर में दिखाई देती है । भाषा-शिक्षण में ये असमानताएं बाधाएं उत्पन्न करती हैं । इन भाषाओं का अध्येता यदि इन असमानताओं को नहीं समझेगा तो भाषा अध्ययन में बाधाएं उत्पन्न होंगी । अनेक गलतियों के शिकार हो जाएंगे । अगर उनके सामने दोनों भाषाओं की तुलना करके उसमें प्राप्त समानताओं तथा विषमताओं को स्पष्ट कर दें तो अध्येता लेखन – वाचन एवं उच्चारण में गलतियां नहीं करेगा, वह दोनों भाषाओं की विषमताओं को ठीक तरह से समझ सकेगा तथा मराठी मातृभाषिओं को हिंदी शिक्षण तथा हिंदी मातृभाषियों को मराठी शिक्षण सुगम होगा ।
संदर्भ – ग्रंथ सूची –
- बृहत् हिंदी कोश – सं. कालिका प्रसाद राजवल्लभ सहाय, मुकुन्दीलाल श्रीवास्तव – ज्ञान मंडल लिमिटेड, वाराणसी, चतुर्थ संस्करण
- हिंदी और मराठी की व्याकरणिक कोटियाँ – अंबादास देशमुख अतुल प्रकाशन, कानपुर 1990 प्रथम
- हिंदी और मराठी की समान स्रोतीय भिन्नाथी शब्दावली डॉ. रामानुज गिलडा, नीरज बुक सेंटर, दिल्ली – 92
- मराठी से हिंदी शब्द संग्रह – ग.र. वैशंपायन
- मराठी – हिंदी शब्दकोश – सं. श्री.ह. अ. भावे वरदा प्रकाशन, पुणे
- सुलभ हिंदी- मराठी कोश – सं. य. रा. दाते, प्र. केशव भिकाजी ढवळे, मुंबई – 4
- भारत के भाषा – परिवार – राजमल बोरा, आलेख, दिल्ली