आपातकाल पर लिखी काव्य कृति ( लोकनायक श्री जयप्रकाश नारायण)
कवि -रमाकांत बडारया दुर्ग (छ.ग)
प्रकाशक
अंजुमन प्रकाशन इलाहाबाद (प्रयागराज ) उ .प्र
हार्ड बाउंड कवर पेज मूल्य -२००/ पेज -११५
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वैसे तो आपातकाल और लोकनायक पर देश में बहुत सी किताबे और साहित्य उपलब्ध है। परन्तु काव्य कृति ‘क्रांतिदूत’ लोकनायक जयप्रकाश नारायण देश में १९७३ से १९७७ तक देश घटित सच्ची घटनाओं पर आधारित आपातकाल पर पहली पध ( काव्य कृति ) है। जिसमें निम्म का विस्तृत दिल को छूने वाला ,आहत करने वाला चित्रण है।
१- १९७३ गुजरात में महंगाई ,भरस्टाचार के विरुद्घ छात्र आंदोलन (नव-निर्माण आंदोलन) ।
२ १९७४ -बिहार का छात्र आंदोलन
३- लोकनायक जयप्रकाश नारायण की ‘समग्र –क्रांति’
४-बिहार छात्र आंदोलन की वर्ष गाठ के आव्सर पर जयप्रकाश नारायण व निहत्थी आंदोलन करियों पर अमानवीय लाठी चार्ज आश्रू गैस छोड़ा जाना
प्राणघातक हमला।
५ -राजनारायण की चुनावी याचिका पर प्रधान मंत्री इंद्रा गांधी का चुनाव अवैध घोषित होना।
६–न्यायायल के आदेश की अवहेलना कर सत्ता लोभ के कारण प्रधानमंत्री पद का त्याग ना करना।
७-ुवा तुर्क चंद्रशेखर ,मोरारजी देसाई सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं पद त्याग , न्यायालय के आदेश के पालन का अनुरोध ना मानने पर विरोध जताना ।
८-विपक्षी पार्टियों का प्रधान मंत्री से पद त्याग पर जोर। राजनारायण का धरने पर बैठना ।
९ विरोध में प्रधान मंत्री की दिल्ली में विशाल आम सभा।
१०-विपक्षी पार्टी का जबाब में दिल्ली में २५ जून ७५ को जयप्रकाष नारायण का विशाल आम सभा का आयोजन जिसमे कवि दिनकर की कविता की पंक्तियों की गूंज ‘सिहासन खाली करो ,क़ि अब जनता आती है’
११- जयप्रकाश नारायण की रैली में लगे नारे से घबराकर इंदिरा गांधी ने सिद्धार्थ शंकर रे को समस्या का हल निकालने अपने कार्यालय तलब किया ताकि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।
१२- सिद्धार्थ शंकर रे ने क़ानून की किताबों के पन्ने खंगाले। बताया सत्ता बचाने का एक मात्र विकल्प देश में आपातकाल है। जिससे आप प्रधान मंत्री बनी रह सकतीं हैं । फिर क्या था !
१३- श्रीमति इंदिरा गांधी ने तत्काल सिद्धार्थ शंकर रे से देश में आपातकाल का अध्यादेश बनवाया और तत्काल राष्ट्रपति के पास पहुंचीं। अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने कहा। दबाब डालकर हस्ताक्षर करवाए।
१४- इसी समय आकाशवाणी पर २५जूँ १९७५ को अर्ध रात्री के वक़्त देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की। क़ानून मंत्री को हवा भी नहीं लगी।
१५-रातों रात समाचार पत्रों के छापाखानों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए। प्रेस पैर सेंसर शिप लगा दी गई। ताकि उनके विरोध में समाचार न छप सकें।
१६-रातो रात लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित सेष के तमाम विरोधीदलों के नेताओं को ,तथा उनसे विरोध रखने वाले कांग्रेसियों को तथा सामाजिक संगठनों के लोगों को ,पत्रकारों को जो जहाँ था ,जैसी हालत मैं था गिरफ्तार कर जेलों मैं ठूंस दिया गया। उन्हें मानसिक यंत्रणाएँ दी गईं।
१७- इसी बीच लोकनायक जयप्रकाश नारायण की मिर्त्यु का समाचार आकाशवाणी से प्रसारित हुआ जो गलत साबित हुआ।
१८ -मीसा क़ानून लगाकर लोगों के मूलभूत अधिकार छीन लिए गए। अदालतों के द्वार बंद कर दिए गए। इस क़ानून का जमकर दुरूपयोग किया गया। देवालों के भी होते हैं कान सोचकर लोग करते थे बात।
१९ – १९ महीनों के बाद इंदिरा गांधी के चापलूसों ने सलाह दी देश मैं आम चुनाव का उपयुक्त समय है लोग खुश हैं आपके पक्ष मैं हैं। उनकी बातों पर विश्वास के आम चुनाव की घोषणा की। धीरे धीरे सभी मीसा बंदियों को छोड़ दिया गया।
२०-लोकनायक श्री जयप्रकश नारायण के नेतृत्व मैं विरोधी पार्टियों के नेताओं ने अपने दलों का विलय नवगठित जनता पार्टी मैं विलय कर हलधर किसान चुनाव चिन्ह पर कांग्रेस के विरुद्ध १९७७ मैं चुनाव लड़ा और भारी अंतर् से जीत दर्ज की। देश मैं मोरारजी भाई के नेतृत्व मै देश मैं पहलीबार गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
२१- श्री जयप्रकाश नारायण जी ने प्रधान मंत्री का प्रस्ताव ठुकराया। नानाजी देशमुख जी ने मंत्री का प्रस्ताव ठुकया। साबित किया वे सत्ता लोभी नहीं हैं , जनता के सेवक हैं।
२१- १७३ से १९७७ के बीच देश मैं घटित घटनाओं ,से लोकनायक श्री जयप्रकाश नारायण के चरित्र, त्याग ,संघर्ष तपस्या का चित्रण है।
काव्य कृति -क्रांतिदूत लिखने का मकसद भावी पीढ़ी को इतिहास के उस काले अध्याय सेअवगत कराना हैजो उन्होंने नहीं देखा १९७३ से १९७७ तक भारत के लोग किस तानाशाही ,जुल्म का शिकार हुए। जो अपनों ने ढाये। मूलभूत अधिकार छीनना ,अदालतों के द्धार बंद होना। प्रजातंत्र की हत्या भी कभी देश मैं हुई होगी १९ महीनो तक देश के बड़े बड़े नेताओं को ,पत्रकारों को ,आम नागरिकॉन को अकारण जेलों मैं भेद बकरियों की तरह बंद किये जान सके। जान सके तानाशाही/तानाशाह हमारे देश मैं टिक नहीं सकता देश बड़ा होता है होता नहीं कोइ आदमी। दिन के आते देर न लगती ,दिन के जाते देर नहीं। जय प्रकाश नारायण जी ने साबित कियातानाशाह कितना भी ताकत वर हो जनशक्ति के सामने नहीं टिक सकता। भविष्य के लिए राज नेताओं के लिए उनका साफ़ सन्देश था । उन्होंने यह भी साबित किया जब भी कोइ लड़ता है बेताब हो लड़ाई हक़ की उसकी आवाज बुलंद करता है एक बेताब ही। काव्य कृति क्रांतिदूत पढ़िए ।
-कवि रमाकांत बडारया
सम्पर्क -99265-29074
कवि परिचय-
नाम ——–रमाकांत छत्रसाल बडारया
पिता ——-स्व छत्रसाल जगन्नाथ बडारया
माँ —- स्व गिरजादेवी
जन्म —03 मई 1947
शिक्षा —बी. एस सी (भूगर्भ शास्त्र ) १९७०
सम्प्रति— रिटायर्ड वरिष्ठ प्रबंधक( बैंक)
दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति
( प्रचार मंत्री ,)
प्रसारण — आकाशवाणी रैयपुर से कविता पाठ १९७९
प्रकाशन –काव्य कृति
^क्रांतिदूत (जयप्रकाश नारायण )
सम्मान —छत्तीसगढ़ स्तरीय कहानी प्रतियोगिता के विजेता
( आयोजक प्रौढ़ शिक्षा विभाग -इंदौर ।-1993
*लेखन –कविता / कहानी / नाटक /सामजिक लेख
निवास — शंकर नगर –
दुर्ग (छग ) 491001
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