महाजनी सभ्यता
(इस लेख में मुंशी प्रेमचंद ने पूंजीवादी
व्यवस्था (महाजनी सभ्यता) द्वारा अनिवार्य रूप से पैदा होने वाली व्यक्तिगत
स्वार्थ, कपट, लोभ-लालच,
बेरोज़गारी,
वेश्यावृत्ति,
भ्रष्टाचार
आदि समस्याओं पर चर्चा की...
नाट्य में सौंदर्यानुभूति, रंगालोचन
एवं रंग-प्रशिक्षण के सवालरंग समीक्षा वही सार्थक, जो
दर्शक और पाठक को समृद्ध करे- प्रो शर्मा
(समालोचक, निबंधकार और लोक संस्कृतिविद् डॉ
शैलेन्द्रकुमार शर्मा...
अगस्त 2015 में प्रारंभ विश्वहिंदीजन (अंतरराष्ट्रीय हिंदी संस्था), जनकृति का एक उपक्रम है. इस उपक्रम में हिंदी भाषा सामग्री का ई संग्राहलय तैयार किया...