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आधुनिक साहित्य के
निरंतर प्रकाशन का छठा वर्ष. हम अपने सभी पाठकों एवं लेखकों का आभार
प्रकट करते हैं. आशीष कंधवे...
दालमोठ भर कटोरी रखा है सामने/ नीलोत्पल
मृणाल
रात-रात
भर जागते रहिये
टुकुर-टुकुर
ताकते रहिये
दालमोठ
भर कटोरी रखा है सामने
हल्का-हल्का
फांकते रहिये
आपसे
न किसी का सुख बाँटा जाएगा
ना
ही आपसे किसी का दुःख...
निमंत्रण
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लालित्य ललित जी के तीन कविता संग्रह का लोकार्पण 12 जनवरी
को 12.30 बजे ,हाल नम्बर 12 में गीतिका प्रकाशन बिजनोर के
स्टाल नम्बर 189-190 पर...
1-
अनवरत प्रेम गंगा...
कलकल बहती
अनवरत प्रवाहित होती
आत्मा से मन कि ऒर..
प्रेम गंगा।
आत्मा के उच्च शिखरों
पर
हिमखंडों से द्रवित
आँखों के मार्गों से
होते हुए
ह्रदय को सींचती
हुई
मन के...