लिंग

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    लिंग

    अनुक्रम

    “संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का बोध हो, उसे व्याकरण में ‘लिंग’ कहते है।
    दूसरे शब्दों में-संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते है।
    सरल शब्दों में- शब्द की जाति को ‘लिंग’ कहते है।

    जैसे-
    पुरुष जाति- बैल, बकरा, मोर, मोहन, लड़का आदि।
    स्त्री जाति- गाय, बकरी, मोरनी, मोहिनी, लड़की आदि।

    ‘लिंग’ संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘चिह्न’ या ‘निशान’। चिह्न या निशान किसी संज्ञा का ही होता है। ‘संज्ञा’ किसी वस्तु के नाम को कहते है और वस्तु या तो पुरुषजाति की होगी या स्त्रीजाति की। तात्पर्य यह है कि प्रत्येक संज्ञा पुंलिंग होगी या स्त्रीलिंग। संज्ञा के भी दो रूप हैं। एक, अप्रणिवाचक संज्ञा- लोटा, प्याली, पेड़, पत्ता इत्यादि और दूसरा, प्राणिवाचक संज्ञा- घोड़ा-घोड़ी, माता-पिता, लड़का-लड़की इत्यादि।

    लिंग के भेद

    सारी सृष्टि की तीन मुख्य जातियाँ हैं- (1) पुरुष (2) स्त्री और (3) जड़। अनेक भाषाओं में इन्हीं तीन जातियों के आधार पर लिंग के तीन भेद किये गये हैं- (1) पुंलिंग (2) स्त्रीलिंग और (3) नपुंसकलिंग।
    अँगरेजी व्याकरण में लिंग का निर्णय इसी व्यवस्था के अनुसार होता है। मराठी, गुजराती आदि आधुनिक आर्यभाषाओं में भी यह व्यवस्था ज्यों-की-त्यों चली आ रही है।

    इसके विपरीत, हिन्दी में दो ही लिंग- पुंलिंग और स्त्रीलिंग- हैं। नपुंसकलिंग यहाँ नहीं हैं। अतः, हिन्दी में सारे पदार्थवाचक शब्द, चाहे वे चेतन हों या जड़, स्त्रीलिंग और पुंलिंग, इन दो लिंगों में विभक्त है।

    हिन्दी व्याकरण में लिंग के दो भेद होते है-
    (1)पुलिंग(Masculine Gender)
    (2)स्त्रीलिंग( Feminine Gender)

    (1) पुलिंग :- जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते है।
    जैसे-
    सजीव- कुत्ता, बालक, खटमल, पिता, राजा, घोड़ा, बन्दर, हंस, बकरा, लड़का इत्यादि।
    निर्जीव पदार्थ- मकान, फूल, नाटक, लोहा, चश्मा इत्यादि।
    भाव- दुःख, लगाव, इत्यादि।

    (2)स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते है।
    जैसे- 
    सजीव- माता, रानी, घोड़ी, कुतिया, बंदरिया, हंसिनी, लड़की, बकरी,जूँ।
    निर्जीव पदार्थ- सूई, कुर्सी, गर्दन इत्यादि।
    भाव- लज्जा, बनावट इत्यादि।

    पुल्लिंग की पहचान

    (1) कुछ संज्ञाएँ हमेशा पुल्लिंग रहती है-
    खटमल, भेड़या, खरगोश, चीता, मच्छर, पक्षी, आदि।

    (2)समूहवाचक संज्ञा- मण्डल, समाज, दल, समूह, वर्ग आदि।

    (3) भारी और बेडौल वस्तुअों- जूता, रस्सा, लोटा ,पहाड़ आदि।

    (4) दिनों के नाम- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार आदि।

    (5) महीनो के नाम- फरवरी, मार्च, चैत, वैशाख आदि। (अपवाद- जनवरी, मई, जुलाई-स्त्रीलिंग)

    (6) पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्द्याचल, सतपुड़ा, आल्प्स, यूराल, कंचनजंगा, एवरेस्ट, फूजीयामा आदि।

    (7) देशों के नाम- भारत, चीन, इरान, अमेरिका आदि।

    (8) नक्षत्रों, व ग्रहों के नाम- सूर्य, चन्द्र, राहू, शनि, आकाश, बृहस्पति, बुध आदि।
    (अपवाद- पृथ्वी-स्त्रीलिंग)

    (9) धातुओं- सोना, तांबा, पीतल, लोहा, आदि।

    (10) वृक्षों, फलो के नाम- अमरुद, केला, शीशम, पीपल, देवदार, चिनार, बरगद, अशोक, पलाश, आम आदि।

    (11) अनाजों के नाम- गेहूँ, बाजरा, चना, जौ आदि। (अपवाद- मक्की, ज्वार, अरहर, मूँग-स्त्रीलिंग)

    (12) रत्नों के नाम- नीलम, पुखराज, मूँगा, माणिक्य, पन्ना, मोती, हीरा आदि।

    (13) फूलों के नाम- गेंदा, मोतिया, कमल, गुलाब आदि।

    (14) देशों और नगरों के नाम- दिल्ली, लन्दन, चीन, रूस, भारत आदि।

    (15) द्रव पदार्थो के नाम- शरबत, दही, दूध, पानी, तेल, कोयला, पेट्रोल, घी आदि।
    (अपवाद- चाय, कॉफी, लस्सी, चटनी- स्त्रीलिंग)

    (16) समय- घंटा, पल, क्षण, मिनट, सेकेंड आदि।

    (17) द्वीप- अंडमान-निकोबार, जावा, क्यूबा, न्यू फाउंडलैंड आदि।

    (18) सागर- हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अरब सागर आदि।

    (19) वर्णमाला के अक्षर- क्, ख्, ग्, घ्, त्, थ्, अ, आ, उ, ऊ आदि। (अपवाद- इ, ई, ऋ- स्त्रीलिंग)

    (20) शरीर के अंग- हाथ, पैर, गला, अँगूठा, कान, सिर, मस्तक, मुँह, घुटना, ह्रदय, दाँत आदि।
    (अपवाद- जीभ, आँख, नाक, उँगलियाँ-स्त्रीलिंग)

    (21) आकारान्त संज्ञायें- गुस्सा, चश्मा, पैसा, छाता आदि।

    (22) ‘दान, खाना, वाला’ आदि से अंत होने वाले अधिकतर शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे- खानदान, पीकदान, दवाखाना, जेलखाना, दूधवाला आदि।

    (23) अ, आ, आव, पा, पन, क, त्व, आवा तथा औड़ा से अंत होने वाली संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं :

    अ- खेल, रेल, बाग, हार, यंत्र आदि।

    आ- लोटा, मोटा, गोटा, घोड़ा, हीरा आदि।

    आव- पुलाव, दुराव, बहाव, फैलाव, झुकाव आदि।

    पा- बुढ़ापा, मोटापा, पुजापा आदि।

    पन- लड़कपन, अपनापन, बचपन, सीधापन आदि।

    क- लेखक, गायक, बालक, नायक आदि।

    त्व- ममत्व, पुरुषत्व, स्त्रीत्व, मनुष्यत्व आदि।

    आवा- भुलावा, छलावा, दिखावा, चढ़ावा आदि।

    औड़ा- पकौड़ा, हथौड़ा आदि।

    (24) मच्छर, गैंडा, कौआ, भालू, तोता, गीदड़, जिराफ, खरगोश, जेबरा आदि सदैव पुल्लिंग होते हैं।

    (25) कुछ प्राणिवाचक शब्द, जो सदैव पुरुष जाति का बोध कराते हैं; जैसे- बालक, गीदड़, कौआ, कवि, साधु आदि।

    स्त्रीलिंग की पहचान

    (1) स्त्रीलिंग शब्दों के अंतर्गत नक्षत्र, नदी, बोली, भाषा, तिथि, भोजन आदि के नाम आते हैं; जैसे-

    (i) कुछ संज्ञाएँ हमेशा स्त्रीलिंग रहती है- मक्खी ,कोयल, मछली, तितली, मैना आदि।

    (ii) समूहवाचक संज्ञायें- भीड़, कमेटी, सेना, सभा, कक्षा आदि।

    (iii) प्राणिवाचक संज्ञा- धाय, सन्तान, सौतन आदि।

    (iv) छोटी और सुन्दर वस्तुअों के नाम- जूती, रस्सी, लुटिया, पहाड़ी आदि।

    (v) नक्षत्र- अश्विनी, रेवती, मृगशिरा, चित्रा, भरणी, रोहिणी आदि।

    (vi) बोली- मेवाती, ब्रज, खड़ी बोली, बुंदेली आदि।

    (vii) नदियों के नाम- रावी, कावेरी, कृष्णा, यमुना, सतलुज, रावी, व्यास, गोदावरी, झेलम, गंगा आदि।

    (viii) भाषाओं व लिपियों के नाम- देवनागरी, अंग्रेजी, हिंदी, फ्रांसीसी, अरबी, फारसी, जर्मन, बंगाली आदि।

    (ix) पुस्तकों के नाम- कुरान, रामायण, गीता आदि।

    (x) तिथियों के नाम- पूर्णिमा, अमावस्था, एकादशी, चतुर्थी, प्रथमा आदि।

    (xi) आहारों के नाम- सब्जी, दाल, कचौरी, पूरी, रोटी आदि।
    अपवाद- हलुआ, अचार, रायता आदि।

    (xii) ईकारान्त वाले शब्द- नानी, बेटी, मामी, भाभी आदि।

    नोट- हिन्दी भाषा में वाक्य रचना में क्रिया का रूप लिंग पर ही निर्भर करता है। यदि कर्ता पुल्लिंग है तो क्रिया रूप भी पुल्लिंग होता है तथा यदि कर्ता स्त्रीलिंग है तो क्रिया का रूप भी स्त्रीलिंग होता है।

    (2) आ, ता, आई, आवट, इया, आहट आदि प्रत्यय लगाकर भी स्त्रीलिंग शब्द बनते हैं; जैसे-

    आ- भाषा, कविता, प्रजा, दया, विद्या आदि।

    ता- गीता, ममता, लता, संगीता, माता, सुंदरता, मधुरता आदि।

    आई- सगाई, मिठाई, धुनाई, पिटाई, धुलाई आदि।

    आवट- सजावट, बनावट, लिखावट, थकावट आदि।

    इया- कुटिया, बुढ़िया, चिड़िया, बिंदिया, डिबिया आदि।

    आहट- चिल्लाहट, घबराहट, चिकनाहट, कड़वाहट आदि।

    या- छाया, माया, काया आदि।

    आस- खटास, मिठास, प्यास आदि

    (3) शरीर के कुछ अंगों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-

    आँख, नाक, जीभ, पलकें, ठोड़ी आदि।

    (4) कुछ आभूषण और परिधान भी स्त्रीलिंग होते है; जैसे-

    साड़ी, सलवार, चुन्नी, धोती, टोपी, पैंट, कमीज, पगड़ी, माला, चूड़ी, बिंदी, कंघी, नथ, अँगूठी, हँसुली आदि।

    (5) कुछ मसाले आदि भी स्त्रीलिंग के अंतर्गत आते हैं; जैसे-

    दालचीनी, लौंग, हल्दी, मिर्च, धनिया, इलायची, अजवायन, सौंफ, चिरौंजी, चीनी, कलौंजी, चाय, कॉफी आदि।

    विशेष :
    कुछ शब्द ऐसे हैं, जो स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों रूपों में प्रयोग किए जाते है; जैसे-

    (1) राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, चित्रकार, पत्रकार, प्रबंधक, सभापति, वकील, डॉक्टर, सेक्रेटरी, गवर्नर, लेक्चर, प्रोफेसर आदि।

    (2) बर्फ, मेहमान, शिशु, दोस्त, मित्र आदि।
    इन शब्दों के लिंग का परिचय योजक-चिह्न, क्रिया अथवा विशेषण से मिलता है।
    यहाँ हम देखें, कैसे इस तरह के शब्दों के लिंग को पहचाना जा सकता है :

    (i) भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल हैं।
    (ii) एम० एफ० हुसैन भारत के प्रसिद्ध चित्रकार हैं।
    (iii) मेरी मित्र कॉलेज में लेक्चरर है।
    (iv) हिमालय पर जमी बर्फ पिघल रही हैं।
    (v) दुख में साथ देने वाला ही सच्चा दोस्त कहलाता है।
    (vi) मेरे पिताजी राष्ट्रपति के सेक्रेटरी हैं।

     

    लिंग-निर्णय

    तत्सम (संस्कृत) शब्दों का लिंग-निर्णय

    संस्कृत पुंलिंग शब्द

    पं० कामताप्रसाद गुरु ने संस्कृत शब्दों को पहचानने के निम्नलिखित नियम बताये है-
    (अ) जिन संज्ञाओं के अन्त में ‘त्र’ होता है। जैसे- चित्र, क्षेत्र, पात्र, नेत्र, चरित्र, शस्त्र इत्यादि।

    (आ) ‘नान्त’ संज्ञाएँ। जैसे- पालन, पोषण, दमन, वचन, नयन, गमन, हरण इत्यादि।
    अपवाद- ‘पवन’ उभयलिंग है।

    (इ) ‘ज’-प्रत्ययान्त संज्ञाएँ। जैसे- जलज,स्वेदज, पिण्डज, सरोज इत्यादि।

    (ई) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में त्व, त्य, व, य होता है। जैसे- सतीत्व, बहूत्व, नृत्य,
    कृत्य, लाघव, गौरव, माधुर्य इत्यादि।

    (उ) जिन शब्दों के अन्त में ‘आर’, ‘आय’, ‘वा’, ‘आस’ हो। जैसे- विकार, विस्तार, संसार, अध्याय, उपाय,
    समुदाय, उल्लास, विकास, ह्रास इत्यादि।
    अपवाद- सहाय (उभयलिंग), आय (स्त्रीलिंग)।

    (ऊ) ‘अ’-प्रत्ययान्त संज्ञाएँ। जैसे- क्रोध, मोह, पाक, त्याग, दोष, स्पर्श इत्यादि।
    अपवाद- जय (स्त्रीलिंग), विनय (उभयलिंग) आदि।

    (ऋ) ‘त’-प्रत्ययान्त संज्ञाएँ। जैसे- चरित, गणित, फलित, मत, गीत, स्वागत इत्यादि।

    (ए) जिनके अन्त में ‘ख’ होता है। जैसे- नख, मुख, सुख, दुःख, लेख, मख, शख इत्यादि।

    संस्कृत स्त्रीलिंग शब्द

    पं० कामताप्रसाद गुरु ने संस्कृत स्त्रीलिंग शब्दों को पहचानने के निम्नलिखित नियम बताये है-
    (अ) आकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा इत्यादि।

    (आ) नाकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- प्रार्थना, वेदना, प्रस्तावना, रचना, घटना इत्यादि।

    (इ) उकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- वायु, रेणु, रज्जु, जानु, मृत्यु, आयु, वस्तु, धातु इत्यादि।
    अपवाद- मधु, अश्रु, तालु, मेरु, हेतु, सेतु इत्यादि।

    (ई) जिनके अन्त में ‘ति’ वा ‘नि’ हो। जैसे- गति, मति, रीति, हानि, ग्लानि, योनि, बुद्धि,
    ऋद्धि, सिद्धि (सिध् +ति=सिद्धि) इत्यादि।

    (उ) ‘ता’-प्रत्ययान्त भाववाचक संज्ञाएँ। जैसे- न्रमता, लघुता, सुन्दरता, प्रभुता, जड़ता इत्यादि।

    (ऊ) इकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- निधि, विधि, परिधि, राशि, अग्नि, छवि, केलि, रूचि इत्यादि।
    अपवाद- वारि, जलधि, पाणि, गिरि, अद्रि, आदि, बलि इत्यादि।

    (ऋ) ‘इमा’- प्रत्ययान्त शब्द। जैसे- महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा इत्यादि।

    तत्सम पुंलिंग शब्द

    चित्र, पत्र, पात्र, मित्र, गोत्र, दमन, गमन, गगन, श्रवण, पोषण, शोषण, पालन, लालन, मलयज, जलज, उरोज, सतीत्व, कृत्य, लाघव, वीर्य, माधुर्य, कार्य, कर्म, प्रकार, प्रहार, विहार, प्रचार, सार, विस्तार, प्रसार, अध्याय, स्वाध्याय, उपहार, ह्रास, मास, लोभ, क्रोध, बोध, मोद, ग्रन्थ, नख, मुख, शिख, दुःख, सुख, शंख, तुषार, तुहिन, उत्तर, पश्र, मस्तक, आश्र्चर्य, नृत्य, काष्ट, छत्र, मेघ, कष्ट, प्रहर, सौभाग्य, अंकन, अंकुश, अंजन, अंचल, अन्तर्धान, अन्तस्तल, अम्बुज, अंश, अकाल, अक्षर, कल्याण, कवच, कायाकल्प, कलश, काव्य, कास, गज, गण, ग्राम, गृह, चन्द्र, चन्दन, क्षण, छन्द, अलंकार, सरोवर, परिमाण, परिमार्जन, संस्करण, संशोधन, परिवर्तन, परिशोध, परिशीलन, प्राणदान,

    वचन, मर्म, यवन, रविवार, सोमवार, मार्ग, राजयोग, रूप, रूपक, स्वदेश, राष्ट, प्रान्त, नगर, देश, सर्प, सागर, साधन, सार, तत्त्व, स्वर्ग, दण्ड, दोष, धन, नियम, पक्ष, पृष्ट, विधेयक, विनिमय, विनियोग, विभाग, विभाजन, विऱोध, विवाद, वाणिज्य, शासन, प्रवेश, अनुच्छेद, शिविर, वाद, अवमान, अनुमान, आकलन, निमन्त्रण, नियंत्रण, आमंत्रण,उद्भव, निबन्ध, नाटक, स्वास्थ्य, निगम, न्याय, समाज, विघटन, विसर्जन, विवाह, व्याख्यान, धर्म, उपकरण, आक्रमण, श्रम,बहुमत, निर्माण, सन्देश, ज्ञापक, आभार, आवास, छात्रावास, अपराध, प्रभाव, लोक, विराम, विक्रम, न्याय, संघ, संकल्प इत्यादि।

    तत्सम स्त्रीलिंग शब्द

    दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा, सभा, प्रार्थना, वेदना, समवेदना, प्रस्तावना, रचना, घटना, अवस्था, नम्रता, सुन्दरता, प्रभुता, जड़ता, महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा, ईष्र्या, भाषा, अभिलाषा, आशा, निराशा, पूर्णिमा, अरुणिमा, काया, कला, चपला, इच्छा, अनुज्ञा, आज्ञा, आराधना, उपासना, याचना, रक्षा, संहिता, आजीविका, घोषणा, परीक्षा, गवेषणा, नगरपालिका, नागरिकता, योग्यता, सीमा, स्थापना, संस्था, सहायता,मान्यता, व्याख्या, शिक्षा, समता, सम्पदा, संविदा, सूचना, सेवा, सेना, विज्ञप्ति, अनुमति, अभियुक्ति, अभिव्यक्ति, उपलब्धि, विधि, क्षति,

    पूर्ति, विकृति, जाति, निधि, सिद्धि, समिति, नियुक्ति, निवृत्ति, रीति, शक्ति, प्रतिकृति, कृति, प्रतिभूति, प्रतिलिपि, अनुभूति, युक्ति, धृति, हानि, स्थिति, परिस्थिति, विमति, वृत्ति, आवृत्ति, शान्ति, सन्धि, समिति, सम्पत्ति, सुसंगति, कटि, छवि, रुचि, अग्नि, केलि, नदी, नारी, मण्डली, लक्ष्मी, शताब्दी, श्री, कुण्डली, कुण्डलिनी, कौमुदी, गोष्ठी, धात्री, मृत्यु, आयु, वस्तु, रज्जु, रेणु, वायु इत्यादि।

    तद्भव (हिन्दी) शब्दों का लिंग निर्णय

    तद्भव शब्दों के लिंगनिर्णय में अधिक कठिनाई होती है। तद्भव शब्दों का लिंगभेद, वह भी अप्राणिवाचक शब्दों का, कैसे किया जाय और इसके सामान्य नियम क्या हों, इसके बारे में विद्वानों में मतभेद है। पण्डित कामताप्रसाद गुरु ने हिन्दी के तद्भव शब्दों को परखने के लिए पुंलिंग के तीन और स्त्रीलिंग के दस नियमों का उल्लेख अपने हिन्दी व्याकरण में किया है, वे नियम इस प्रकार है-

    तद्भव पुंलिंग शब्द

    (अ) ऊनवाचक संज्ञाओं को छोड़ शेष आकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- कपड़ा, गत्रा, पैसा, पहिया, आटा, चमड़ा, इत्यादि।

    (आ) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ना, आव, पन, वा, पा, होता है। जैसे- आना, गाना, बहाव, चढाव, बड़प्पन, बढ़ावा, बुढ़ापा इत्यादि।

    (इ) कृदन्त की आनान्त संज्ञाएँ। जैसे- लगान, मिलान, खान, पान, नहान, उठान इत्यादि।
    अपवाद- उड़ान, चट्टान इत्यादि।

    तद्भव स्त्रीलिंग शब्द

    (अ) ईकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- नदी, चिट्ठी, रोटी, टोपी, उदासी इत्यादि।
    अपवाद- घी, जी मोती, दही इत्यादि।

    (आ) ऊनवाचक याकारान्त संज्ञाए। जैसे- गुड़िया, खटिया, टिबिया, पुड़िया, ठिलिया इत्यादि।

    (इ) तकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- रात, बात, लात, छत, भीत, पत इत्यादि।
    अपवाद- भात, खेत, सूत, गात, दाँत इत्यादि।

    (ई) उकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- बालू, लू, दारू, ब्यालू, झाड़ू इत्यादि।
    अपवाद- आँसू, आलू, रतालू, टेसू इत्यादि।

    (उ) अनुस्वारान्त संज्ञाएँ। जैसे- सरसों, खड़ाऊँ, भौं, चूँ, जूँ इत्यादि।
    अपवाद- गेहूँ।

    (ऊ) सकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- प्यास, मिठास, निदास, रास (लगाम), बाँस, साँस इत्यादि।
    अपवाद- निकास, काँस, रास (नृत्य)।

    (ऋ) कृदन्त नकारान्त संज्ञाएँ, जिनका उपान्त्य वर्ण अकारान्त हो अथवा जिनकी धातु नकारान्त हो। जैसे- रहन, सूजन, जलन, उलझन, पहचान इत्यादि।
    अपवाद- चलन आदि।

    (ए) कृदन्त की अकारान्त संज्ञाएँ। जैसे- लूट, मार,समझ, दौड़, सँभाल, रगड़, चमक, छाप, पुकारइत्यादि।
    अपवाद- नाच, मेल, बिगाड़, बोल, उतार इत्यादि।

    (ऐ) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ट, वट, हट, होता है। जैसे- सजावट, घबराहट, चिकनाहट, आहट, झंझट इत्यादि।

    (ओ) जिन संज्ञाओं के अन्त में ‘ख’ होता है। जैसे- ईख, भूख, राख, चीख, काँख, कोख, साख, देखरेख इत्यादि।
    अपवाद- पंख, रूख।

    अर्थ के अनुसार लिंग-निर्णय

    कुछ लोग अप्राणिवाचक शब्दों का लिंगभेद अर्थ के अनुसार करते है। पं० कामताप्रसाद गुरु ने इस आधार और दृष्टिकोण को ‘अव्यापक और अपूर्ण’ कहा है; क्योंकि इसके जितने उदाहरण है, प्रायः उतने ही अपवाद हैं। इसके अलावा, इसके जो थोड़े-से नियम बने हैं, उनमें सभी तरह के शब्द सम्मिलित नहीं होते। गुरुजी ने इस सम्बन्ध में जो नियम और उदाहरण दिये है, उनमें भी अपवादों की भरमार है। उन्होंने जो भी नियम दिये है, वे बड़े जटिल और अव्यवहारिक है।
    यहाँ इन नियमों का उल्लेख किया जा रहा है-

    (क) अप्राणिवाचक पुंलिंग हिन्दी शब्द

    (i) शरीर के अवयवों के नाम पुंलिंग होते है। जैसे- कान, मुँह, दाँत, ओठ, पाँव, हाथ, गाल, मस्तक, तालु, बाल, अँगूठा, मुक्का, नाख़ून, नथना, गट्टा इत्यादि।
    अपवाद- कोहनी, कलाई, नाक, आँख, जीभ, ठोड़ी, खाल, बाँह, नस, हड्डी, इन्द्रिय, काँख इत्यादि।

    (ii) रत्नों के नाम पुंलिंग होते है। जैसे- मोती, माणिक, पत्रा, हीरा, जवाहर, मूँगा, नीलम, पुखराज, लाल इत्यादि।
    अपवाद- मणि, चुत्री, लाड़ली इत्यादि।

    (iii) धातुओं के नाम पुंलिंग होते है। जैसे- ताँबा, लोहा, सोना, सीसा, काँसा, राँगा, पीतल, रूपा, टीन इत्यादि।
    अपवाद- चाँदी।

    (iv) अनाज के नाम पुंलिंग होते है। जैसे- जौ, गेहूँ, चावल, बाजरा, चना, मटर, तिल इत्यादि।
    अपवाद- मकई, जुआर, मूँग, खेसारी इत्यादि।

    (v) पेड़ों के नाम पुंलिंग होते है। जैसे- पीपल, बड़, देवदारु, चीड़, आम, शीशम, सागौन, कटहल, अमरूद, शरीफा, नीबू, अशोक तमाल, सेब, अखरोट इत्यादि।
    अपवाद-लीची, नाशपाती, नारंगी, खिरनी इत्यादि।

    (vi) द्रव्य पदार्थों के नाम पुंलिंग होते हैं। जैसे- पानी, घी, तेल, अर्क, शर्बत, इत्र, सिरका, आसव, काढ़ा, रायता इत्यादि।
    अपवाद- चाय, स्याही, शराब।

    (vii) भौगोलिक जल और स्थल आदि अंशों के नाम प्रायः पुंलिंग होते है। जैसे- देश, नगर, रेगिस्तान, द्वीप, पर्वत, समुद्र, सरोवर, पाताल, वायुमण्डल, नभोमण्डल, प्रान्त इत्यादि।
    अपवाद- पृथ्वी, झील, घाटी इत्यादि।

    (ख) अप्राणिवाचक स्त्रीलिंग हिन्दी-शब्द

    (i) नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते है। जैसे- गंगा, यमुना, महानदी, गोदावरी, सतलज, रावी, व्यास, झेलम इत्यादि।
    अपवाद- शोण, सिन्धु, ब्रह्यपुत्र नद है, अतः पुंलिंग है।

    (ii) नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते है। जैसे- भरणी, अश्र्विनी, रोहिणी इत्यादि।
    अपवाद- अभिजित, पुष्य आदि।

    (iii) बनिये की दुकान की चीजें स्त्रीलिंग है। जैसे- लौंग, इलायची, मिर्च, दालचीनी, चिरौंजी, हल्दी, जावित्री, सुपारी, हींग इत्यादि।
    अपवाद- धनिया, जीरा, गर्म मसाला, नमक, तेजपत्ता, केसर, कपूर इत्यादि।

    (iv) खाने-पीने की चीजें स्त्रीलिंग है। जैसे- कचौड़ी, पूरी, खीर, दाल, पकौड़ी, रोटी, चपाती, तरकारी, सब्जी, खिचड़ी इत्यादि।
    अपवाद- पराठा, हलुआ, भात, दही, रायता इत्यादि।

     

    प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिन्दी शब्दों का लिंग-निर्णय

    हिन्दी के कृदन्त और तद्धित-प्रत्ययों में स्त्रीलिंग-पुंलिंग बनानेवाले अलग-अलग प्रत्यय इस प्रकार है-

    स्त्रीलिंग कृदन्त-प्रत्यय- अ, अन्त,आई, आन, आवट, आस, आहट, ई, औती, आवनी, क, की, त, ती, नी इत्यादि। हिन्दी कृदन्त-प्रत्यय जिन धातु-शब्दों में लगे होते है, वे स्त्रीलिंग होते है। जैसे- लूट, चमक, देन, भिड़न्त, लड़ाई, लिखावट, प्यास, घबराहट, हँसी, मनौती, छावनी, बैठक, फुटकी, बचत, गिनती, करनी, भरनी।

    द्रष्टव्य- इन स्त्रीलिंग कृदन्त-प्रत्ययों में अ, क, और न प्रत्यय कहीं-कहीं पुंलिंग में भी आते है और कभी-कभी इनसे बने शब्द उभयलिंग भी होते है। जैसे- ‘सीवन’ (‘न’-प्रत्ययान्त) क्षेत्रभेद से दोनों लिंगों में चलता है। शोष सभी प्रत्यय स्त्रीलिंग है।

    पुंलिंग कृदन्त-प्रत्यय- अक्कड़, आ, आऊ, आक, आकू, आप, आपा, आव, आवना, आवा, इयल, इया, ऊ, एरा, ऐया, ऐत, औता, औना, औवल, क, का, न, वाला, वैया, सार, हा इत्यादि हिन्दी कृदन्त-प्रत्यय जिन धातु-शब्दों में लगे है, वे पुंलिंग होते है। जैसे- पियक्कड़, घेरा, तैराक, लड़ाकू, मिलाप, पुजापा, घुमाव, छलावा, लुटेरा, कटैया, लड़ैत, समझौता, खिलौना, बुझौवल, घालक, छिलका, खान-पान, खानेवाला, गवैया।

    द्रष्टव्य- (i) क और न कृदन्त-प्रत्यय उभयलिंग हैं। इन दो प्रत्ययों और स्त्रीलिंग प्रत्ययों को छोड़ शेष सभी पुंलिंग हैं। (ii)’सार’ उर्दू का कृदन्त- प्रत्यय है, जो हिन्दी में फारसी से आया है मगर काफी प्रयुक्त है।

    स्त्रीलिंग तद्धित-प्रत्यय- आई, आवट, आस, आहट, इन, एली, औड़ी, औटी, औती, की, टी, ड़ी, त, ती, नी, री, ल, ली इत्यादि। हिन्दी तद्धित-प्रत्यय जिन शब्दों में लगे होते है, वे स्त्रीलिंग होते है। जैसे- भलाई, जमावट, हथेली, टिकली, चमड़ी।

    पुंलिंग तद्धित-प्रत्यय- आ, आऊ, आका, आटा, आना, आर, इयल, आल, आड़ी, आरा, आलू, आसा, ईला, उआ, ऊ, एरा, एड़ी, ऐत, एला, ऐला, ओटा, ओट, औड़ा, ओला, का, जा, टा, ड़ा, ता, पना, पन, पा, ला, वन्त, वान, वाला, वाँ, वा, सरा, सों, हर, हरा, हा, हारा, इत्यादि। हिन्दी तद्धित प्रत्यय जिन शब्दों में लगे होते है वे शब्द पुंलिंग होते है। जैसे- धमाका, खर्राटा, पैताना, भिखारी, हत्यारा, मुँहासा, मछुआ, सँपेरा, डकैत, अधेला, चमोटा, लँगोटा, हथौड़ा, चुपका, दुखड़ा, रायता, कालापन, बुढ़ापा, गाड़ीवान, टोपीवाला, छठा, दूसरा, खण्डहर, पीहर, इकहरा, चुड़िहारा।

    द्रष्टव्य- (i) इया, ई, एर, एल, क तद्धित प्रत्यय उभयलिंग हैं। जैसे-

    प्रत्यय पद तद्धित पद
    इया मुख मुखिया (पुंलिंग)
    खाट खटिया (ऊनवाचक) (स्त्रीलिंग)
    डोर डोरी (स्त्रीलिंग)
    एर मूँड़ मुँड़ेर (स्त्रीलिंग)
    अंध अँधेर (पुंलिंग)
    एल फूल फुलेल (पुंलिंग)
    नाक नकेल (स्त्रीलिंग)
    पंच पंचक (पुंलिंग)
    ठण्ड ठण्डक (स्त्रीलिंग)

    (ii) विशेषण अपने विशेष्य के लिंग के अनुसार होता है। जैसे- ‘ल’ तद्धित-प्रत्यय संज्ञा-शब्दों में लगने पर उन्हें स्त्रीलिंग कर देता है, मगर विशेषण में- ‘घाव+ल=घायल’- अपने विशेष्य के अनुसार होगा, अर्थात विशेष्य स्त्रीलिंग हुआ तो ‘घायल’ स्त्रीलिंग और पुंलिंग हुआ तो पुंलिंग।

    (iii) ‘क’ तद्धित प्रत्यय स्त्रीलिंग है, किन्तु संख्यावाचक के आगे लगने पर उसे पुंलिंग कर देता है। जैसे- चौक, पंचक (पुंलिंग) और ठण्डक, धमक (स्त्रीलिंग)। ‘आन’ प्रत्यय भाववाचक होने पर शब्द को स्त्रीलिंग करता है, किन्तु विशेषण में विशेष्य के अनुसार। जैसे- लम्बा+आन=लम्बान (स्त्रीलिंग)।

    (iv) अधिकतर भाववाचक और उनवाचक प्रत्यय स्त्रीलिंग होते है।

    उर्दू शब्दों का लिंग-निर्णय

    उर्दू से होते हुए हिन्दी में अरबी-फारसी के बहुत से शब्द आये है, जिनका व्यवहार हम प्रतिदिन करते है। इन शब्दों का लिंगभेद निम्नलिखित नियमों के अनुसार किया जाता है-

    पुंलिंग उर्दू शब्द

    (i) जिनके अन्त में ‘आब’ हो, वे पुंलिंग है। जैसे- गुलाब, जुलाब, हिसाब, जवाब, कबाब।
    अपवाद- शराब, मिहराब, किताब, ताब, किमखाब इत्यादि।

    (ii) जिनके अन्त में ‘आर’ या ‘आन’ लगा हो। जैसे- बाजार, इकरार, इश्तिहार, इनकार, अहसान, मकान, सामान, इम्तहान इत्यादि।
    अपवाद- दूकान, सरकार, तकरार इत्यादि।

    (iii) आकारान्त शब्द पुंलिंग है ; जैसे- परदा, गुस्सा, किस्सा, रास्ता, चश्मा, तमगा।
    (मूलतः ये शब्द विसर्गात्मक हकारान्त उच्चारण के हैं। जैसे- परद:, तम्ग: । किन्तु हिन्दी में ये ‘परदा’, ‘तमगा’ के रूप में आकारान्त ही उच्चरित होते है।
    अपवाद- दफा।

    स्त्रीलिंग उर्दू शब्द

    (i) ईकारान्त भाववाचक संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है। जैसे- गरीबी, गरमी, सरदी, बीमारी, चालाकी, तैयारी, नवाबी इत्यादि।
    (ii) शकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है। जैसे- नालिश, कोशिश, लाश, तलाश, वारिश, मालिश इत्यादि।
    अपवाद- ताश, होश आदि।

    (iii) तकारन्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है। जैसे- दौलत, कसरत, अदालत, इजाजत, कीमत, मुलाकात इत्यादि।
    अपवाद- शरबत, दस्तखत, बन्दोबस्त, वक्त, तख्त, दरख्त इत्यादि।

    (iv) आकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है। जैसे- हवा, दवा, सजा, दुनिया, दगा इत्यादि।
    अपवाद- मजा इत्यादि।

    (v) हकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- सुबह, तरह, राह, आह, सलाह, सुलह इत्यादि।

    (vi) ‘तफईल’ के वजन की संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है। जैसे- तसवीर, तामील, जागीर, तहसील इत्यादि।

    अँगरेजी शब्दों का लिंगनिर्णय

    विदेशी शब्दों में उर्दू (फारसी और अरबी)- शब्दों के बाद अँगरेजी शब्दों का प्रयोग भी हिन्दी में कम नहीं होता। जहाँ तक अँगरेजी शब्दों के लिंग-निर्णय का पश्र है, मेरी समझ से इसमें कोई विशेष कठिनाई नहीं है; क्योंकि हिन्दी में अधिकतर अँगरेजी शब्दों का प्रयोग पुंलिंग में होता है। इस निष्कर्ष की पुष्टि नीचे दी गयी शब्दसूची से हो जाती है। अतः इन शब्दों के तथाकथित ‘मनमाने प्रयोग’ बहुत अधिक नहीं हुए है। मेरा मत है कि इन शब्दों के लिंगनिर्णय में रूप के आधार पर अकारान्त, आकारान्त, और ओकारान्त को पुंलिंग और ईकारान्त को स्त्रीलिंग समझना चाहिए।

    फिर भी, इसके कुछ अपवाद तो हैं ही। अँगरेजी के ‘पुलिस’ (Police) शब्द के स्त्रीलिंग होने पर प्रायः आपत्ति की जाती है। मेरा विचार है कि यह शब्द न तो पुंलिंग है, न स्त्रीलिंग। सच तो यह है कि ‘फ्रेण्ड’ (Friend) की तरह उभयलिंग है। अब तो स्त्री भी ‘पुलिस’ होने लगी है। ऐसी अवस्था में जहाँ पुरुष पुलिस का काम करता हो, वहाँ ‘पुलिस’ पुंलिंग में और जहाँ स्त्री पुलिस का काम करेगी, वहाँ उसका व्यवहार स्त्रीलिंग में होना चाहिए। हिन्दी में ऐसे शब्दों की कमी नहीं है, जिनका प्रयोग दोनों लिंगों में अर्थभेद के कारण होता है। जैसे- टीका, हार, पीठ इत्यादि। ऐसे शब्दों की सूची आगे दी गयी है।

    लिंगनिर्णय के साथ हिन्दी में प्रयुक्त होनेवाले अँगरेजी शब्दों की सूची निम्नलिखित है-

    अँगरेजी के पुंलिंग शब्द

    अकारान्त- ऑर्डर, आयल, ऑपरेशन, इंजिन, इंजीनियर, इंजेक्शन, एडमिशन, एक्सप्रेस, एक्सरे, ओवरटाइम, क्लास, कमीशन, कोट, कोर्ट, कैलेण्डर, कॉंलेज, कैरेम, कॉलर, कॉलबेल, काउण्टर, कारपोरेशन, कार्बन, कण्टर, केस, क्लिनिक, क्लिप, कार्ड, क्रिकेट, गैस, गजट, ग्लास, चेन, चॉकलेट, चार्टर, टॉर्च, टायर, ट्यूब, टाउनहाल, टेलिफोन, टाइम, टाइमटेबुल, टी-कप, टेलिग्राम, ट्रैक्टर, टेण्डर, टैक्स, टूथपाउडर, टिकट, डिवीजन, डान्स, ड्राइंग-रूम, नोट, नम्बर, नेकलेस, थर्मस, पार्क, पोस्ट, पोस्टर, पेन, पासपोर्ट, पेटीकोट, पाउडर, पेंशन, प्रोमोशन, प्रोविडेण्ट फण्ड,

    पेपर, प्रेस, प्लास्टर, प्लग, प्लेट, पार्सल, प्लैटफार्म, फुटपाथ, फुटबॉल, फार्म, फ्रॉक, फर्म, फैन, फ्रेम, फुलपैण्ट, फ्लोर, फैशन, बोर्ड, बैडमिण्टन, बॉर्डर, बाथरूम, बुशशर्ट, बॉक्स, बिल, बोनस, बजट, बॉण्ड, बोल्डर, ब्रश, ब्रेक, बैंक, बल्ब, बम, मैच, मेल, मीटर, मनिआर्डर, रोड, रॉकेट, रबर, रूल, राशन, रिवेट, रिकार्ड, रिबन, लैम्प, लेजर, लाइसेन्स, वाउचर, वार्ड, स्टोर, स्टेशनर, स्कूल, स्टोव, स्टेज, स्लीपर, स्टेल, स्विच, सिगनल, सैलून, हॉल, हॉंस्पिटल, हेयर, हैण्डिल, लाइट, लेक्चर, लेटर।

    अँगरेजी के स्त्रीलिंग शब्द

    ईकारान्त- एसेम्बली, कम्पनी, केतली, कॉपी, गैलरी, डायरी, डिग्री, टाई, ट्रेजेडी, ट्रेजरी, म्युनिसिपैलिटी, युनिवर्सिटी, पार्टी, लैबोरेटरी।

    लिंग-निर्णय के सामान्य नियम

    (क) जिन शब्दों के अंत में त्व, ना, आ, आटा, आव, आवा, औरा, पन इत्यादि (कृदंत-तद्धित) प्रत्यय लगते हों, वे पुंलिंग होते है-

    प्रत्यय पुंलिंग शब्द
    त्व महत्त्व
    ना पढ़ना, दिखाना
    र्य शौर्य, वीर्य, माधुर्य
    घेरा, फेरा, तोड़ा, जोड़ा, फोड़ा
    आटा सन्नाटा, खर्राटा
    आपा पुजापा, बुढ़ापा
    आव जमाव, घुमाव, फैलाव, बचाव, बहाव
    आवा बुलावा, चढ़ावा, दिखावा, भुलावा, पहनावा
    औड़ा हथौड़ा, पकौड़ा
    त्र चित्र, मित्र
    पन बचपन, छुटपन, पागलपन, बड़प्पन

    (ख) जिन शब्दों के अंत में आई, आवट, आस, आहट, इया, ई, त, नी, री, ली इत्यादि प्रत्यय लगते हों, वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-

    प्रत्यय स्त्रीलिंग शब्द
    आई महँगाई, भलाई, बुराई, ढिलाई, चिकनाई, सिलाई, धुनाई, रुलाई
    आवट रुकावट, मिलावट, गिरावट
    आस प्यास (पिआस), मिठास
    आहट घबराहट, बुलाहट
    इया डिबिया, टिकिया
    हँसी, गरीबी, अमीरी, गुलामी, रस्सी, टोपी, गोटी, जूती
    रंगत, चाहत, हजामत
    नी घिरनी, चलनी, चटनी, खैनी
    री कोठरी, गठरी, छतरी
    ली टिकली, डफली

    (ग) संस्कृत (तत्सम) के अकारांत शब्द पुलिंग और आकारांत स्त्रीलिंग होते हैं। ऊपर उदाहरण दिये गये हैं।
    जैसे- जल, स्वर्ण, लाभ, स्तंभ (पुलिंग), भिक्षा, शिक्षा, निन्द्रा, संध्या, परीक्षा, लज्जा (स्त्रीलिंग)

    (घ) तद्धव (हिंदी) के लिंग प्रायः तत्सम (संस्कृत) के लिंग के अनुसार होते हैं। जैसे-

    अकारांत तत्सम लिंग हिंदी तद्धव अकारांत तत्सम लिंग हिंदी तद्धव
    आश्र्चर्य पुलिंग अचरज गोधूम पुलिंग गेहूँ
    काष्ठ पुलिंग काठ दुग्ध पुलिंग दूध
    स्नान पुलिंग नहान वंध्या स्त्रीलिंग बाँझ
    स्तंभ पुलिंग खंभा, खंभ संध्या स्त्रीलिंग साँझ
    कटाह पुलिंग कड़ाह नासिका स्त्रीलिंग नाक
    चत्वर पुलिंग चबूतरा निन्द्रा स्त्रीलिंग नींद
    स्वर्ण पुलिंग सोना परीक्षा स्त्रीलिंग परख
    जीव पुलिंग जी हरिद्रा स्त्रीलिंग हरदी
    कर्पट पुलिंग कपड़ा भिक्षा स्त्रीलिंग भीख
    पर्यक पुलिंग पलंग शय्या स्त्रीलिंग सेज
    आम्र पुलिंग आम शिक्षा स्त्रीलिंग सीख
    पौत्र पुलिंग पोता लौह स्त्रीलिंग लोहा

    (ड़) हिंदी की द्रव्यवाचक संज्ञाएँ पुलिंग होती हैं। जैसे- लोहा, चूना, मोती, दही, घी, तेल, सोना इत्यादि। अपवाद- चाँदी स्त्रीलिंग है।

    (च) लिंग-निर्णय का सबसे सरल नियम यह है कि जिस अकारांत शब्द का लिंग जानना हो, उसका कर्ता में बहुवचन-रूप बनाकर देखा जाय। यदि बहुवचन में एकारांतता के साथ अनुनासिकता है (अर्थात अंतिम स्वर पर चंद्रबिंदु या अनुस्वार लगता हो) तो वह स्त्रीलिंग है। यदि अप्रत्यय एकवचन-रूप और बहुवचन-रूप में कोई अंतर नहीं है तो वह शब्द पुलिंग है, अर्थात यदि बहुवचन में एकार के साथ अनुनासिकता नहीं है, तो वह शब्द पुलिंग है। जैसे-

    राम के चार भवन हैं (पुलिंग)
    राम के वचन सुने (पुलिंग)
    श्याम के चार पुत्र है। (पुलिंग)
    ये चार इमारतें राम की हैं (स्त्रीलिंग)
    राम की बातें हुई। (स्त्रीलिंग)
    मैंने कोशिशें की (स्त्रीलिंग)

     

    लिंगकोश

    (पुलिंग शब्द)(MASCULINE)

    अ- अरमान, अनार, अदरख, अपराध, अनाज, अनुसार, अनुसरण, अबरब, अबीर, अन्वय, अमृत, अपरिग्रह, अपहरण, अनुदान, अनुमोदन, अनुसन्धान, अपयश, अक्षत, अणु, अकाल, अक्षर, अनुच्छेद, अखरोट।

    आ- आलस्य, आचार, आईना, आचरण, आखेट, आभार, आलू, आवेश, आविर्भाव, आश्रम, आश्र्वासन, आसन, आषाढ़, आस्वादन, आहार, आसव, आशीर्वाद, आकाश, आयोग, आटा, आमंत्रण, आक्रमण, आरोप, आयात, आयोजन, आरोपण, आलोक, आवागमन, आविष्कार।

    अं, अँ, आँ- अंधड़, अंगूर, अंक, अंबार, अंकुश, अंगार, अंतरिक्ष, अंतर्धान, अंतस्तल, अंबुज, अंश, अंजन, अंचल, अंकन, अंगुल, अंकगणित, अंतःपुर, अंतःकरण, अँधेरा, अंधेर, अंबर, अंशु, आँसू।

    ओ, औ- ओठ, ओल, ओला, औजार, औसत।

    इ, ई- इजलास, इन्द्रासन, इकतारा, इलाका, इजहार, इनाम, इलाज, इस्तीफा, इस्पात, इस्तेमाल, इन्तजार, इन्साफ, इलजाम, इत्र, ईंधन।

    उ, ऊ- उद्धार, उतार, उपवास, उफान, उबटन, उबाल, उलटफेर, उपादान, उपकरण, उत्पादन, उत्कर्ष, उच्छेदन, उत्तरदायित्व, उत्तरीय, उत्ताप, उत्साह, उत्सर्ग, उदय, उद्गार, उद्घाटन, उद्धरण, उद्यम, उन्माद, उन्मूलन, उपकार, उपक्रम, उपग्रह, उपचार, उपनयन, उपसर्ग, उपहास, उपाख्यान, उपालंभ, उल्लंघन, उल्लास, उल्लू, उल्लेख, ऊख, ऊन, ऊखल, ऊधम।

    क- कण्ठ, कपूर, कर्म, कम्बल, कलंक, कपाट, कछार, कटहल, कफन, कटोरा, कड़ाह, कलह, कक्ष, कच्छा, कछुआ, कटिबन्ध, कदम्ब, कनस्तर, कफ, कबाब, कब्ज, करकट, करतल, कर्णफूल, करार, करेला, कलाप, कलेवर, कल्प, कल्याण, कल्लोल, कवच।

    का- काग, काजल, काठ, कार्तिक, काँच (शीशा), कानन, कार्य, कायाकल्प।

    कि, की- कित्रर, किमाम, किसलय, कीर्तन, कीचड़।

    कु, कू- कुँआ, कुटीर, कुतूहल, कुमुद, कुल, कुहासा, कुशल, कुष्ट, कूड़ा।

    के, को, कौ- केवड़ा, केंकड़ा, केराव, केशर, केश, कोटर, कोल्हू, कोढ़, कोदो, कीप, कोष(श), कोहनूर, कोष्ठ, कोट, कौतूहल, कौर, कौआ,कौशल।

    ख- खँडहर, खजूर, खटका, खटमल, खपड़ा, खरगोश, खरबूजा, खराद (यन्त्र), खर्राटा, खलिहान, खाँचा, खाका, खान(पठान), खान-पान, खार, खिंचाव, खीर-मोहन, खीरा, खुमार, खुदरा, खुर, खुलासा, खूँट(छोर), खूँटा, खेमा, खेल, खेलवाड़, खोंचा, खोआ।

    ग- गंजा, गन्धक, गन्धराज, गगन, गज, गजट, गजब, गठबन्धन, गढ़, गदर, गद्य, गबन, गमन, गरुड़, गर्जन, गर्व, गर्भाशय, गलसुआ, गलियारा, गलीचा, गश, गाँजा, गार्हस्थ्य, गिरजा, गिरगिट, गड्ढा, गुणगान, गोदाम, गुनाह, गुंजार, गुलाब, गुलाम, गिला, गूदा, गोंद, गेंद, गोत्र, गोधन, गोलोक, गौरव, ग्रह, ग्रीष्म, ग्रहण, ग्रास, गिलाफ, गिद्ध।

    घ- घट, घटाटोप, घटाव, घड़ा, घड़ियाल, घन, घराना, घपला, घर्षण, घाघरा, घाघ, घाटा, घात (चोट), घाव, घी, घुँघरू, घुटना, घुन, घुमाव, घूँघट, घूँट, घृत, घेघा, घोंघा, घोटाला, घोल।

    च- चंगुल, चण्डमुण्ड, चन्दन, चन्द्रमा, चन्दनहार, चन्द्रबिन्दु, चन्द्रहार, चन्द्रोदय, चकमा, चकला, चकवा, चकोर, चक्कर, चक्र, चक्रव्यूह, चटावन, चढाव, चढ़ावा, चप्पल, चमगादड़, चमत्कार, चमर, चम्मच, चम्पक, चयन, चर्खा, चरागाह, चर्स, चलचित्र, चलन, चालान, चषक, चाँटा, चाँद, चाक, चातक, चातुर्य, चाप (धनुष), चाबुक, चाम, चरण, चाकू, चाव, चिन्तन, चित्रकूट, चित्रपट, चिरकुट, चिराग, चीता, चीत्कार, चीर, चीलर, चुम्बक, चुम्बन, चुनाव, चुल्लू, चैन, चोकर, चौक, चौपाल।

    छ- छन्द, छछूँदर, छज्जा, छटपट, छत्ता, छत्र, छप्पर, छलछन्द, छाजन, छार, छिद्र, छिपाव, छींटा, छेद, छोआ, छोर।

    ज- जख्म, जमघट, जहाज, जंजाल, जन्तु, जड़ाव, जत्था, जनपद, जनवासा, जप, जमाव, जलधर, जलपथ, जलपान, जाँता, जाकड़, जाम, जाप, जासूस, जिक्र, जिगर, जिन, जिहाद, जी, जीरा, जीव, ज्वारभाटा, जुआ, जुकाम, जुर्म, जुलाब, जुल्म, जुलूस, जूड़ा, जेठ, जेल, जौ, जैतून, जोश, ज्वर।

    झ- झंझा, झंझावात, झकझोर, झकोर, झाड़ (झाड़ी), झंखाड़, झाल (बाजा), झींगुर, झुण्ड, झुकाव, झुरमुट, झूमर।

    ट- टण्टा, टमटम, टकुआ, टाट, टापू, टिकट, टिकाव, टिफिन, टीन, टमाटर, टैक्स।

    ठ- डंक, डंड, डण्डा, डब्बा, डमरू, डर, डीह, डोल, डेरा।

    ढ- ढक्कन, ढेला, ढाँचा, ढोंग, ढाढस, ढंग, ढोल, ढकना, ढिंढोरा, ढोंग, ढेर।

    त- तम्बाकू, तम्बूरा, तकिया, तन, तनाव, तप, तबला, तमंचा, तरकश, तरबूज, तराजू, तल, ताण्डव, ताज, तार, ताला, तालाब, ताश, त्रिफला, तिल, तिलक, तिलकुट, तीतर, तीर, तीर्थ, तेजाब, तेल, तेवर, तोड़-जोड़, तोड़-फोड़, तौल, तौलिया, त्रास, तख्ता, तंत्र।

    थ- थन, थप्पड़, थल, थूक, थोक, थाना, थैला।

    द- दंड, दबाव, दर्जा, दर्शन, दरबार, दहेज, दाँत, दाग, दाम, दही, दिन, दिमाग, दिल, दीपक, दीया, दुःख, दुशाला, दूध, दृश्य, देहात, देश, द्वार, द्वीप, दर्द, दुखड़ा, दुपट्टा, दंश, दफा, दालान, दलाल, दानव, दाय, दास, दिखाया, दिमाग, दिल, दीपक, दुलार, दुशाला, दूध, दृश्य, दैत्य, दोष, दौरान, द्वार, द्वीप, द्वेष, दफ्तर।

    ध- धन्धा, धक्का, धड़, धन, धनुष, धर्म, धान, धाम, धैर्य, ध्यान, धनिया, धुआँ।

    न- नकद, नक्षत्र, नग, ननिहाल, नभ, नगर, नमक, नसीब, नरक, नल, नाख़ून, निबाह, नियम, निर्झर, निगम, निवास, निवेदन, निशान, निष्कर्ष, नीबू, नीर, नीलम, नीलाम, नृत्य, नेत्र, नैवेद्य, न्याय, नमस्कार, नक्शा, नगीना, नशा, न्योता।

    प-पंक्षी, पकवान, पक्ष, पक्षी, पत्र, पड़ोस, पतंग, पनघट, पतलून, पतन, पत्थर, पद, पदार्थ, पनीर, पपीहा, पर्दा, परमाणु, परलोक, पराग, परिचय, परिणाम, परिवर्तन, परिवार, पर्व, पल्लव, पहर, पहिया, पाखण्ड, पाचन, पाताल, पापड़, पाला, पिल्लू, पीताम्बर, पीपल, पुआल, पुराण, पुरस्कार, पुल, पुलक, पुस्तकालय, पूर्व, पोत, पोल, पोषण, पाजामा, प्याज, प्रकोप, प्रयोग, प्रतिफल, प्रतिबन्ध, प्रत्यय, प्रदेश, प्रभाव, प्रलय, प्रसार, प्रातः, प्रारम्भ, पैसा, प्राण, पेट, पौधा, प्यार, पहरा, पानी।

    फ- फर्क, फर्ज, फर्श, फल, फसाद, फाटक, फल, फूल, फेन, फेफड़ा, फेर, फेरा, फतिंगा।

    ब- बण्डल, बन्दरगाह, बखान, बबूल, बचपन, बचाव, बड़प्पन, बरतन, बरताव, बल, बलात्कार, बहाव, बहिष्कार, बाँध, बाँस, बाग, बाज, बाजा, बाजार, बादाम, बेलन, बेला, बेसन, बोझ, बोल, बैर, बगीचा, बादल, बुढ़ापा, बटन, बिल, बुखार, बीज, बिछावन, बेंत, बदला।

    भ- भण्डाफोड़, भँवर, भजन, भवन, भत्ता, भरण, भस्म, भाग्य, भाल, भाव, भाषण, भिनसार, भुजंग, भुलावा, भूकम्प, भेदभाव, भेड़िया, भोज, भोर, भरोसा।

    म- मंच, मंजन, मण्डन, मजा, मटर, मसूर, मतलब, मद्य, मच्छर, मनसूबा, मनोवेग, मरहम, मरोड़, मवेशी, मलय, मलाल, महुआ, माघ, माजरा, मिजाज, मील, मुकदमा, मुरब्बा, मुकुट, मूँगा, मृग, मेघ, मेवा, मोक्ष, मोती, मोतीचूर, मोम, मोर, मोह, मौन, म्यान, मुरब्बा, मक्खन।

    य- यन्त्र, यति (संन्यासी), यम, यश, यातायात।

    र- रक्त, रबर, रमण, रहस्य, राग, रासो, रूपा, रेत, रोग, रोमांच, रिवाज, रूमाल ।

    ल- लंगर, लक्ष्य, लगान, लगाव, लटकन, लाघव, लालच, लिहाज, लेख, लेप, लोप, लोभ, लेनदेन।

    व- वजन, वज्र, वन, वनवास, वर, वसन्त, वार, विकल्प, विक्रय, विघटन, विमर्श, विलास, विष, विवाद, विसर्जन, विस्फोट, विहार, वैष्णव, व्यंजन, व्यय, व्याख्यान, व्याज, व्यास, व्यूह।

    श- शंख, शक, शनि, शर, शव, शरबत, शहद, शाप, शिखर, शीर्ष, शील, शुक्र, शून्य, शोक, श्रम, श्र्वास।

    स- संकट, संकेत, संकोच, संखिया, संगठन, संगम, संचार, संयोग, सन्दूक, संन्यास, सम्पर्क, सम्बन्ध, संविधान, सतू, सफर, समीर, सर, सरोवर, सहन, सहयोग, सहारा, साग, साधन, साया, सार, सिंगार, सिन्दूर, सियार, सिर, सिल्क, सींग, सुमन, सुराग, सूअर, सूत, सूत्र, सूना, सूद, सूप, सेतु, सेब, सेवन, सोच, सोन, सोना, सोफा, सोम, सोहर (गीत), सौभाग्य, सौरभ, स्तर, स्थल, स्पर्श, स्वरूप, स्वर्ग, सवर्ण, स्वाद।

    ह- हंस, हक, हमला, हरण, हरिण, हल, हवाला, हार (माला), हाल (समाचार, दशा), हास्य, हित, हिल्लोल, हीरा, हेरफेर, हैजा, होंठ, होश, ह्रास।

    स्त्रीलिंग शब्द (FEMININE)

    अ- अँगड़ाई, अँतड़ी, अकड़, अक्ल, अदालत, अनबन, अप्सरा, अफवाह, अपेक्षा, अपील, अहिंसा, अरहर, अवस्था।

    आ- आँच, आँत, आग, आजीविका, आज्ञा, आत्मा, आत्महत्या, आदत, आन, आपदा, आफत, आमद, आय, आयु, आराधना,आवाज, आस्तीन, आह, आहट, आशिष, आँख।

    इ, ई- इंच, इन्द्रिय, इच्छा, इजाजत, इज्जत, इमारत, इला, ईट, ईद, ईख, ईर्ष्या।

    उ, ऊ- उड़ान, उथल-पुथल, उपासना, उपेक्षा, उमंग, उम्र, उर्दू (भाषा), उलझन, उषा, ऊब।

    ए, ऐ- एकता, ऐंठ, ऐंठन, ऐनक।

    ओ, औ- ओट, ओस, औलाद।

    क- कक्षा, कटुता, कड़क, कतार, कथा, कदर, कन्या, कमर, कमाई, कमान, कमीज, करवट, करुणा, कसक, कसम, कसरत, कपास, कसौटी, कस्तूरी, काँगरेस, काश्त, करतूत, किस्मत, किशमिश, क़िस्त (ऋण चुकाने का भाग), कीमत, कील, कुंजी, कुटिया, कुशल(कुशलता), कुल्हाड़ी, कूक, कृपा, कैद, कोख, कोयल, क्रिया, क्रीड़ा, क्षमा।

    ख- खटपट, खटास, खटिया, खड़क, खडांऊँ, खनक, खपत, खबर, खरीद, खींच, खरोंच, खाँड़, खाई, खाज, खाट, खातिर, खाद, खाल, खान (खनि), खिजाँ, खिदमत, खोच, खीझ, खीर, खील, खुदाई, खुरमा, खुशामद, खैरात, खोट, खोह।

    ग- गंगा, गन्ध, गजल, गटपट, गठिया, गड़बड़, गणना, गति, गदा, गनीमत, गफलत, गरज, गर्दन, गरिमा, गर्द, गर्दिश, गाँठ, गाजर, गाज (बिजली), गागर, गाथा, गाद, गिटपिट, गिरफ्त, गिरह, गिलहरी, गीता, गीतिका, गुंजाइश, गुड़िया, गुड्डी, गुफा, गुरुता, गेरू, गुलेल, गूज, गैल, गैस, गोट, गोद, गोपिका, गौ।

    घ- घटा, घटिका, घास, घिन, घुड़दौड़, घुड़साल, घूस, घृणा, घोषणा।

    च- चमेली, चकई, चटक (चमक-दमक), चट्टान, चपत, चपला, चर्चा, चमक, चहक, चहल-पहल, चाँदी, चाँप, चाट, चादर, चारपाई, चाल, चाह, चाहत, चालढाल, चिकित्सा, चिट, चिमनी, चिलक, चिल्लाहट, चिढ, चिता, चिन्ता, चित्रकला, चिनक, चिनगारी, चिप्पी, चिलम, चील, चीख, चींटी, चीनी, चुटिया, चुड़ैल, चुनरी, चुनौती, चुहल, चुहिया, चूक, चें-चें, चेचक, चेतना, चेष्टा, चोंच, चोट, चौपड़, चौखट।

    छ- छटा, छत, छमछम, छलाँग, छवि, छाँह, छाछ, छानबीन, छाप, छाया, छाल, छींक, छींट, छीछालेदर, छूट, छूत, छेनी, छुआछूत।

    ज- जंग, जंजीर, जँभाई, जगह, जटा, जड़, जनता, जमात, जलवायु, जमानत, जमावट, जमीन, जलन, जय, जरा, जरूरत, जाँच, जाँघ, जागीर, जान, जायदाद, जिज्ञासा, जिद, जिरह, जिल्द, जिल्लत, जिह्ना, जीत, जीभ, जूँ, जूठन, जेब, जेवनार, जोंक, जोत, ज्वाला।

    झ- झंकार, झंझट, झख, झिझक, झड़प, झनकार, झपक, झपट, झपास, झरझर, झकझक, झलमल, झाड़फूंक, झाड़(झाड़ने की क्रिया), झाड़, झाँझ, झाँझर, झाँप, झाड़न, झाल, (तितास), झालर, झिड़क, झील, झूम।

    ट- टकसाल, टक्कर, टपक, टहल, टाँक, टाँग, टाँय-टाँय, टाप, टाल-मटोल, टिकिया, टिप-टिप, टिप्पणी, टीक, टीपटाप, टीमटाम, टीस, टूट, टेंट, टेंटे, टेक, टेर, टोह, टोक, ट्रेन।

    ठ- ठण्डक, ठक-ठक, ठनक, ठमक, ठिठक, ठिलिया, ठूँठ, ठेक, ठोकर, ठेस।

    ड- डग, डगर, डपट, डाक, डाट, डाँक, डाल, डींग, डीठ, डोर, डिबिया।

    ढ- ढोलक।

    त- तन्द्रा, तकरीर, तकदीर, तकरार, तड़क-भड़क, तड़प, तबीयत, तमत्रा, तरंग, तरकीब, तरफ, तरह, तरावट, तराश, तलब, तलवार, तलाश, तशरीफ, तह, तहजीब, तहसील, तान, ताक-झाँक, ताकत, तादाद, ताकीद, तातील, तारीफ, तालीम, तासीर, तिजारत, तीज, तुक, तुला, तोंद, तोबा, तोप, तोल, तोशक, त्योरी, त्रिया।

    थ- थकान, थकावट, थरथर, थलिया, थाप, थाह।

    द- दक्षिण, दगा, दतवन, दमक, दरखास्त, दरगाह, दरार, दलदल, दस्तक, दहाड़, दारू, दहशत, दावत, दिनचर्या, दिव्या, दीक्षा, दीठ, दीद, दीमक, दीवार, दुआ, दुकान, दुविधा, दुत्कार, दुम, दूरबीन, दुनिया, दुर्दशा, दूर, दूब, देखभाल, देखरेख, देन, देह।

    ध- धड़क, धड़कन, धरपकड़, धमक, धरा, धरोहर, धाक, धातु, धाय, धार, धारणा, धुन्ध, धुन, धूम, धूप (सूर्य-प्रकाश), धूपछाँह, धौंक, धौंस, ध्वजा।

    न- नकल, नस (स्त्रायु), नकाव, नकेल, नजर, नहर, नजाकत, नजात, नफरत, नफासत, नसीहत, नब्ज, नमाज, नाँद, नाक, निगाह, निद्रा, निराशा, निशा, निष्ठा, नींद, नीयत, नुमाइश, नोक, नोकझोंक, नौबत, नालिश, नेत्री।

    प- पंचायत, पंगत, पकड़, पखावज, पछाड़, पतवार, पटपट, पतझड़, पताका, पत्तल, पनाह, परख, पसन्द, परवाह, परत, परात, परिक्रमा, परिषद, परीक्षा, पलटन, पहचान, पहुँच, पायल, पिपासा, पिस्तौल, पुलिस, पुश्त, पुड़िया, पुकार, पूछताछ, पूँछ, पेंसिल, पेंशन, पोशाक, पैदावार, पौध, प्रकिया, प्रतिज्ञा, प्रतिभा, प्रतीक्षा, प्रभा।

    फ- फजीहत, फटकार, फटकन, फतह, फरियाद, फसल, फिक्र, फुरसत, फुलिया, फुहार, फूंक, फूट, फीस, फौज।

    ब- बन्दूक, बकवास, बयार, बगल, बचत, बदबू, बदौलत, बधाई, बनावट, बरात, बर्दाश्त, बर्फ, बला, बहार, बाँह, बातचीत, बाबत, बरसात, बुलाहट, बूँद, बूझ, बेर (दफा या बार), बैठक, बोतल, बोलचाल, बौखलाहट, बौछार।

    भ-भगदड़, भड़क, भनक, भभक, भरमार, भभूत, भाँग, भाप, भार्या, भिक्षा, भीख, भीड़, भुजा, भूख, भेंट, भेड़, भैंस, भौंह।

    म- मंजिल, मंशा, मचक, मचान, मजाल, मखमल, मटक, मणि, मसनद, ममता, मरम्मत, मर्यादा, मलमल, मशाल, मज्जा, मशीन, मस्जिद, महक, मसल, महफिल, महिमा, माँग, माता, मात्रा, माया, माप, माला, मिठास, मिर्च, मिलावट, मीनार, मुद्रा, मुराद, मुलाकात, मुसकान, मुसीबत, मुस्कराहट, मुहब्बत, मुहर, मूँग, मूँछ, मूर्खता, मेखला, मेहनत, मैना, मैल, मौज, मौत, मृत्यु।

    य- यमुना, याचना, यादगार, यातना, यात्रा, यामा, योजना।

    र- रक्षा, रचना, रात, राह, रेखा, रंगत, रकम, रंग, रगड़, रफ्तार, रस्म, राख, रामायण, राय, राहत, रियासत, रिमझिम, रीढ़, रुकावट, रूह, रेणु, रेत (बालू), रेल, रोक, रोकड़, रोर, रौनक, रोकटोक,रोटी।

    ल- लौंग, लड़ाई, लता, ललकार, लात, लहर, लार, लालटेन, लंका, लकीर, लगन, लगाम, लटक, लताड़, लचर, लज्जा, लट, लपक, ललक, ललकार, लहर, लात, लाज, लालमिर्च, लाश, लीक, लोटपोट, लू।

    व- वकालत, वायु, विद्या, विनय, वसीयत, विजय, विदाई, विधवा, व्यथा, विदुषी।

    श- शंका, शक्कर, शराब, शान, शाम, शरण, शर्त, शतरंज, शक्ल, शराफत, शबनम, शान, शाखा, शिखा, शिकायत, श्रद्धा। स- सरसों, संस्कृत, संस्था, सजावट, सड़क, समझ, सभ्यता, समस्या, सरकार, ससुराल, साँझ, साँस, सिगरेट, सीमा, सुधा, सुविधा, सुबह, सूझ, सेना, सैर, साजिश, सनक, सन्तान (औलाद), सम्पदा, संसद।

    ह-हजामत, हड़ताल, हत्या, हवा, हलचल, हाय, हाट, हालत, हिंसा, हिचक, हिम्मत, हींग, हरकत, हड़प, हद, हकीकत, हिफाजत, हैसियत, हिम्मत।

     

    पुलिंग शब्दों की सूची और उनका वाक्य-प्रयोग :

    शब्द वाक्य शब्द वाक्य
    प्राण- उसके प्राण उड़ गये। घी- घी महँगा है।
    अपराध- उनका अपराध क्षमा के योग्य है। अकाल- राजस्थान में भीषण अकाल पड़ा है।
    आईना- आईना टूट गया। आयोजन- पूजा का आयोजन हो रहा है।
    अम्बार- किताबों का अम्बार लगा हुआ है। आँसू- उनके आँसू निकल पड़े।
    इत्र- यह गुलाब का इत्र है। ईंधन- ईंधन जल गया।
    कंबल- कंबल मोटा है। कफन- कफन छोटा है।
    कवच- यह लोहे का कवच है। कीचड़- कीचड़ सुख गया है।
    कुआँ- कुआँ गहरा है। कुहासा- कुहासा छाया है।
    गिरगिट- गिरगिट रंग बदलता है। गुनाह- उनका गुनाह क्या है ?
    खलिहान- यह राम का खलिहान है। घाव- घाव पक गया है।
    चाबुक- उसका चाबुक गिर पड़ा। चुनाव- चुनाव आ गया।
    छप्पर- वह फूस का छप्पर है। जहाज- जहाज डूब गया।
    जख्म- जख्म हरा हो गया। जुलूस- जुलूस लंबा है।
    जेल- यह पटना का जेल है। जौ- जौ खाने में अच्छा नहीं लगता।
    टिकट- यह रेल का टिकट है। तकिया- यह छोटू का तकिया है।
    तीर- हाथ से तीर छूट गया। तौलिया- यह डी० सी० एम० का तौलिया है।
    दंगा- दंगा अच्छा नहीं होता है। दाग- पान का दाग नहीं छूटता।
    नकद- आपके पास नकद कितना है ? नीड़- मेरा नीड़ उजड़ गया।
    नीलाम- जमीन को नीलाम होना है। पतंग- पतंग उड़ रहा है।
    पहिया- पहिया टूट गया। फर्ज- मेरे प्रति उनका क्या फर्ज है ?
    बोझ- बोझ हल्का है। भोर- भोर हो गया।
    मोती- मोती चमक रहा है। मोम- मोम पिघल रहा है।
    रूमाल- रूमाल फट गया। शोक- उन्हें नाचने का शोक है।
    सींग- गाय को दो सींग होता है। हार- यह हार महँगा है।
    होश- उनके होश उड़ गये। पानी- पानी गंदा है।
    दही- दही खट्टा है। बचपन- बचपन बड़ा सुंदर होता है।
    घर- घर सुंदर बना है। पर्वत- पर्वत ऊँचा है।
    उमंग- यह अच्छी उमंग है। क्रोध- क्रोध मनुष्य को अंधा बना देता है।
    गीत- वह गीत अच्छा है। वृक्ष- वृक्ष सूख गया।

    स्त्रीलिंग शब्दों की सूची और उनका वाक्य-प्रयोग :

    शब्द वाक्य शब्द वाक्य
    आदत- मुझे पान खाने की आदत है। आय- मेरी आय थोड़ी है।
    आँख- उनकी आँख बड़ी-बड़ी है। आग- आग लग गयी।
    इच्छा- मेरी इच्छा घूमने की है। ईट- ईट पकी नहीं है।
    ईष्र्या- दूसरे की संपत्ति से ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। उम्र- तुम्हारी उम्र लम्बी है।
    ऊब- नीरस बातों से ऊब होती है। कब्र- कब्र खोदी गयी।
    कमर- मेरी तो कमर टूट गयी। कसम- मुझे उनकी कसम है।
    कलम- कलम टूट गयी। खटिया- उसने मेरी खटिया खड़ी कर दी।
    खोज- खोये हुए बच्चे की खोज जारी है। खबर- उनकी मृत्यु की खबर गलत निकली।
    गर्दन- मेरी गर्दन फँसी है। घूस- घूस बुरी चीज है।
    घात- बिल्ली चूहे की घात में है। चमक- उनके चेहरे की चमक गायब हो गयी।
    चिढ- राम की चिढ महँगी पड़ी। चाल- घोड़े की चाल अच्छी है।
    चील- आकाश में चील उड़ रही है। छत- छत टूट गयी।
    जाँच- जाँच हो रही है। जीभ- जीभ कट गयी।
    जूँ- मेरे बाल में जूँ रेंगती है। झंझट- झंझट किसी से नहीं करनी चाहिए।
    टाँग- मेरी टाँग टूट गयी। ठेस- ठेस लग गयी।
    किताब- किताब पुरानी है। तबीयत- उसकी तबीयत ठीक नहीं है।
    थकावट- बिस्तर पर जाते ही थकावट दूर हो गयी। दीवार- दीवार गिर गयी।
    देह- उनकी देह मोटी है। धूप- धूप निकल आयी है।
    नकल- मेरी नकल मत करो। नहर- नहर गाँव से होकर जाती है।
    नब्ज- मैं उसकी नब्ज पहचानता हूँ। प्रतिज्ञा- मेरी प्रतिज्ञा अटल है।
    फटकार- उसने फटकार लगायी। बंदूक- यह किसकी बंदूक है ?
    बर्फ- बर्फ गिर रही है। बालू- बालू पीली है।
    बूँद- पानी की बूँदे गिरी है। भीख- भीख देनी चाहिए।
    भीड़- वहाँ भीड़ लगी थी। भूख- मुझे भूख लगी है।
    मूँछ- उनकी मूँछे नुकीली हैं। यात्रा- यात्रा अच्छी रही।
    लाश- लाश सड़ गयी। लीक- यह लीक कैसी है।
    लू- लू चल रही है। शराब- शराब महँगी है।
    विजय- उसकी विजय हुई। सजा- उसको सजा हो गयी है।
    सड़क- सड़क चौड़ी है। साँझ- साँझ घिर आयी है।

    स्त्रीलिंग /पुलिंग शब्दों की सूची और उनका वाक्य-प्रयोग :

     

    शब्द वाक्य शब्द वाक्य
    प्राण (पु०)- प्राण उड़ गए। मोती (पु०)- मोती चमकता है।
    घी (पु०)- घी उजला है। छत (स्त्री०)- छत गिर गई।
    मूँछ (स्त्री०)- पिताजी की मूँछ पक रही है। दाल (स्त्री०)- दाल अच्छी बनी है।
    खेत (पु०)- मेरा खेत हरा-भरा है। पीठ (स्त्री०)- मेरी पीठ में दर्द है।
    चादर (स्त्री)- चादर फट गई है। होश (पु०)- उसके होश उड़ गए।
    धूप (स्त्री /पु०)- धूप कड़ी है।/यज्ञ में धूप जल रहा है। पहिया (पु०)- बैलगाड़ी में दो पहिये होते है।
    बुढ़ापा (पु०)- देखते-देखते बुढ़ापा आ गया। दीमक (स्त्री०)- किताबों में दीमक लग गई है।
    दर्शन (पु०)- आपके दर्शन हुए, अहोभाग्य। जूँ (स्त्री०)- मूर्ख के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती।
    खीर (स्त्री०)- खीर अच्छी बनी है। आग (स्त्री०)- आग धधक उठी है।
    अफवाह (स्त्री०)- अफवाह फैल गई कि उसकी हत्या कर दी गई है। कीचड़ (पु०)- गली में कीचड़ फैल गया है।
    अफीम (स्त्री०)- अफीम जहरीली होती है। अनबन (स्त्री०)- दोनों भाइयों में अनबन चल रही है।
    आँख (स्त्री०)- मेरी आँख में दर्द हो रहा है। मोती (पु०)- मोती चमकीला होता है।
    अरहर (स्त्री०)- जनवरी में अरहर फूलने लगती है। घूँट (पु०)- मैं खून का घूँट पीकर रह गया।
    चोंच (स्त्री०)- इस पंक्षी की चोंच लंबी है। भीड़ (स्त्री०)- भीड़ एकत्र हो गई।
    नाक (स्त्री०)- भरी सभा में सौदागर की नाक कट गई। बाढ़ (स्त्री०)- पिछले साल भीषण बाढ़ आई थी।
    हार (स्त्री० /पु०)- रावण की हार हो गई /रानी का हार खो गया। प्यास (स्त्री०)- कौवे को प्यास लगी थी।
    लगाम (स्त्री०)- घोड़े की लगाम हाथ में थी। नींद (स्त्री०)- खाने के बाद मुझे नींद लगने लगी।
    आयु (स्त्री०)- भगवान करे, आपकी आयु लंबी हो। शपथ (स्त्री०)- मैंने शपथ खाई कि उसे हराकर ही रहूँगा।
    ऋतु (स्त्री०)- वर्षा ऋतु आ गई। लालच (पु०)- ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए।
    सरसों (स्त्री०)- फागुन चढ़ते ही सरसों कटने लगती है। चरित्र (पु०)- चरित्र चला जाता है, तो सब कुछ चला जाता है।
    खोज (स्त्री०)- हनुमान ने सीता की खोज की। आदत (स्त्री०)- उसे तम्बाकू खाने की आदत पड़ गई है।
    खटिया (स्त्री०)- मेरी खटिया पुरानी हो गई है। नेत्र (पु०)- मेरा नेत्र लाल है।
    चाँदी (स्त्री०)- सोनार के यहाँ से चाँदी चोरी हो गई। कचनार (स्त्री०)- ग्रीष्म ऋतु में भीषण ताप में भी कचनार हरी-भरी रहती है।
    साँस (स्त्री०)- साँप को देखकर मेरी साँस फूल गई। ओस (स्त्री०)- जाड़े में ओस पड़ती है।
    भूख (स्त्री०)- मुझे जोरों से भूख लगी है। उल्लास (पु०)- हारने से सारा उल्लास ही समाप्त हो गया।
    चश्मा (पु०)- चश्मा हमारी आँखों की रक्षा करता है। सरकार (स्त्री०)- केंद्र की सरकार राजनीतिक दलों के सहयोग से बनी है।

     

    पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम और प्रत्यय

    हिन्दी-स्त्रीप्रत्यय

    (1) अकारान्त तथा आकारान्त पुलिंग शब्दों को ईकारान्त कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते है। जैसे-

    आकारान्त शब्द

    लड़का- लड़की
    गूँगा- गूँगी
    देव- देवी
    नर- नारी
    गधा- गधी
    नाला- नाली
    मोटा- मोटी
    बन्दर- बन्दरी

    (2) ‘आ’ या ‘वा’ प्रत्ययान्त पुलिंग शब्दों में ‘आ’ या ‘वा’ की जगह इया लगाने से वे स्त्रीलिंग बनते है। जैसे-

    कुत्ता- कुतिया
    बूढा- बुढ़िया
    लोटा- लुटिया
    बंदर- बंदरिया
    बेटा- बिटिया
    चिड़ा- चिड़िया
    चूहा- चुहिया
    बाछा- बछिया

    (3) व्यवसायबोधक, जातिबोधक तथा उपनामवाचक शब्दों के अन्तिम स्वर का लोप कर उनमें कहीं इन और कहीं आइन प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है जैसे-

    माली- मालिनी
    धोबी- धोबिनी
    तेली- तेलिनी
    बाघ- बाघिनी
    बनिया- बनियाइन

    (4) कुछ उपनामवाची शब्द ऐसे भी है, जिनमे आनी प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसे-

    ठाकुर- ठाकुरानी
    पण्डित-पण्डितानी
    चौधरी- चौधरानी
    देवर- देवरानी
    जेठ- जेठरानी
    मेहतर- मेहतरानी
    सेठ- सेठरानी

    (5) जाती या भाव बतानेवाली संज्ञाओं का पुलिंग से स्त्रीलिंग करने में यदि शब्द का अन्य स्वर दीर्घ है, तो उसे ह्स्व करते हुए नी प्रत्यय का भी प्रयोग होता है। जैसे-

    स्यार- स्यारनी
    हिन्दू- हिन्दुनी
    ऊँट- ऊँटनी
    शेर- शेरनी
    भील- भीलनी
    हंस- हंसनी
    मोर- मोरनी
    ऊँट- ऊँटनी
    चोर- चोरनी
    हाथी- हथिनी

    (6) कुछ शब्द स्वतन्त्ररूप से स्त्री-पुरुष के जोड़े होते है। ये स्वतन्त्ररूप से स्त्रीलिंग या पुलिंग शब्द होते है। जैसे-

    माँ- बाप
    मर्द- औरत
    पुत्र- कन्या
    राजा- रानी
    भाई- बहन
    पुरुष- स्त्री
    गाय- बैल
    वर- दामाद
    साहब – मेम
    माता- पिता
    फूफा- बूआ
    सम्राट- सम्राज्ञी
    बिलाव- बिल्ली
    बेटा- पुतोहू

    (7) अ/आ को ई करके स्त्रीलिंग बनाया जाता हैं। जैसे-

    बेटा- बेटी
    कबूतर- कबूतरी
    देव- देवी
    काला- काली
    दास- दासी
    पोता- पोती
    लड़का- लड़की

    (8) ‘इका’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाया जाता हैं। जैसे-

    अध्यापक- अध्यापिका
    संपादक- संपादिका
    गायक- गायिका
    पाठक- पाठिका
    पत्र- पत्रिका
    चालक- चालिका

    (9) ‘इन’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाया जाता हैं। जैसे-

    सुनार- सुनारिन
    साँप- साँपिन
    बाघ- बाघिन
    कुम्हार- कुम्हारिन
    दर्जी- दर्जिन
    नाती- नातिन

    (10) ‘आइन’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाया जाता हैं। जैसे-

    चौधरी- चौधराइन
    बाबू- बबुआइन
    पंडित- पंडिताइन
    हलवाई- हलवाइन
    गुरु- गुरुआइन

    (11) कुछ पुल्लिंग शब्दों के साथ ‘मादा’ लगाकर स्त्रीलिंग बनाए जाते हैं :

    तोता- मादा तोता
    खरगोश- मादा खरगोश
    मच्छर- मादा मच्छर
    जिराफ- मादा जिराफ

    (12) शब्दांत में ‘इनी’ जोड़कर भी कुछ स्त्रीलिंग शब्द बनाए जाते हैं :

    तपस्वी- तपस्विनी
    स्वामी- स्वामिनी
    मनस्वी- मनस्विनी
    अभिमान- अभिमानिनी
    दंडी- दंडिनी
    संन्यासी- संन्यासिनी

    (13) कुछ ऐसे स्त्रीलिंग शब्द हैं, जिनके साथ ‘नर’ लगाकर पुल्लिंग बनाए जाते हैं :

    कोयल- नर कोयल
    चील- नर चील
    मकड़ी- नर मकड़ी
    भेड़- नर भेड़

    संस्कृत स्त्रीप्रत्यय

    (14) संस्कृत के ‘वान्’ और ‘मान्’ प्रत्ययान्त विशेषण शब्दों में ‘वान्’ तथा ‘मान्’ को क्रमशः वती और मती कर देने से स्त्रीलिंग बन जाता है। जैसे-

    बुद्धिमान्- बुद्धिमती
    पुत्रवान्- पुत्रवती
    श्रीमान्- श्रीमती
    भाग्यवान्- भाग्यवती
    आयुष्मान्- आयुष्मती
    भगवान्- भगवती
    धनवान्- धनवती

    (15) संस्कृत के बहुत-से अकारान्त विशेषण शब्दों के अन्त में आ लगा देने से स्त्रीलिंग हो जाते है। जैसे-

    तनुज- तनुजा
    चंचल- चंचलता
    आत्मज- आत्मजा
    सुत- सुता
    प्रिय- प्रिया
    पूज्य- पूज्या
    श्याम- श्यामा

    (16) जिन पुलिंग शब्दों के अन्त में ‘अक’ होता है, उनमें ‘अक’ के स्थान पर इका कर देने से वे शब्द स्त्रीलिंग बन जाते है। जैसे-

    सेवक- सेविका
    पालक- पालिका
    बालक- बालिका
    भक्षक- भक्षिकानायक
    पाठक- पाठिका

    (17) कुछ पुल्लिंग शब्दों के अंत में ‘ता’ के स्थान पर ‘त्री’ जोड़कर भी स्त्रीलिंग शब्द बनाए जाते हैं :

    दाता- दात्री
    नेता- नेत्री
    धाता- धात्री
    अभिनेता- अभिनेत्री
    रचयिता- रचयित्री
    विधाता- विधात्री
    वक्ता- वक्त्री