मुहावरा
अनुक्रम
- 1 मुहावरा
- 1.1 मुहावरा (Idioms) की परिभाषा
- 1.2 मुहावरा की विशेषता
- 1.3 ( अ, आ )
- 1.4 ( ई )
- 1.5 ( उ, ऊ )
- 1.6 ( ए, ऐ )
- 1.7 (ओ, औ )
- 1.8 मुहावरे (Idioms)
- 1.9 ( क )
- 1.10 ( ख )
- 1.11 ( ग )
- 1.12 ( घ )
- 1.13 ( च )
- 1.14 ( छ )
- 1.15 ( ज, झ )
- 1.16 ( ट )
- 1.17 ( ठ )
- 1.18 ( ड )
- 1.19 ( ढ )
- 1.20 ( त, थ )
- 1.21 ( थ )
- 1.22 ( द,ध )
- 1.23 ( ध )
- 1.24 ( न )
- 1.25 ( प, फ )
- 1.26 ( फ )
- 1.27 ( ब )
- 1.28 ( भ )
- 1.29 ( म )
- 1.30 ( य )
- 1.31 ( र )
- 1.32 ( ल )
- 1.33 ( व )
- 1.34 ( श, ष )
- 1.35 ( स )
- 1.36 ( ह )
- 1.37 (शरीर के अंगो पर मुहावरे)
- 1.37.1 (1)(‘आँख’ पर मुहावरे)
- 1.37.2 (2) (अँगूठा पर मुहावरे)
- 1.37.3 (3) (आँसू पर मुहावरे)
- 1.37.4 (4)(ओठ पर मुहावरे)
- 1.37.5 (5)(ऊँगली पर मुहावरे)
- 1.37.6 (6) (‘कान’ पर मुहावरे)
- 1.37.7 (7) ( कलेजा पर मुहावरे )
- 1.37.8 (8) (‘नाक’ पर मुहावरे)
- 1.37.9 (9) (‘मुँह’ पर मुहावरे)
- 1.37.10 (10) (‘दाँत’ पर मुहावरे)
- 1.37.11 (11) (‘बात’ पर मुहावरे)
- 1.37.12 (12) (‘सिर’ पर मुहावरे)
- 1.37.13 (13) (‘गर्दन’ पर मुहावरे)
- 1.37.14 (14) ( हाथ पर मुहावरे)
- 1.37.15 (15) ( मिथकीय/ऐतिहासिक नामों से संबद्ध मुहावरे )
मुहावरा (Idioms) की परिभाषा
ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।
(1) कक्षा में प्रथम आने की सूचना पाकर मैं ख़ुशी से फूला न समाया अर्थात बहुत खुश हो जाना।
(2) केवल हवाई किले बनाने से काम नहीं चलता, मेहनत भी करनी पड़ती है अर्थात कल्पना में खोए रहना।
इन वाक्यों में ख़ुशी से फूला न समाया और हवाई किले बनाने वाक्यांश विशेष अर्थ दे रहे हैं। यहाँ इनके शाब्दिक अर्थ नहीं लिए जाएँगे। ये विशेष अर्थ ही ‘मुहावरे’ कहलाते हैं।
‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- अभ्यास। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। ये वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग करते समय इनका शाब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ लिया जाता है। इनके विशेष अर्थ कभी नहीं बदलते। ये सदैव एक-से रहते हैं। ये लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं।
अरबी भाषा का ‘मुहावर:’ शब्द हिन्दी में ‘मुहावरा’ हो गया है। उर्दूवाले ‘मुहाविरा’ बोलते हैं। इसका अर्थ ‘अभ्यास’ या ‘बातचीत’ से है। हिन्दी में ‘मुहावरा’ एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या ‘वाग्धारा’ कहते है।
मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया
मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।
मुहावरा की विशेषता
(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता है, अलग नही। जैसे, कोई कहे कि ‘पेट काटना’ तो इससे कोई विलक्षण अर्थ प्रकट नही होता है। इसके विपरीत, कोई कहे कि ‘मैने पेट काटकर’ अपने लड़के को पढ़ाया, तो वाक्य के अर्थ में लाक्षणिकता, लालित्य और प्रवाह उत्पत्र होगा।
(2) मुहावरा अपना असली रूप कभी नही बदलता अर्थात उसे पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नही किया जा सकता। जैसे कमर टूटना एक मुहावरा है, लेकिन स्थान पर कटिभंग जैसे शब्द का प्रयोग गलत होगा।
(3) मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, उसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- ‘खिचड़ी पकाना’। ये दोनों शब्द जब मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होंगे, तब इनका शब्दार्थ कोई काम न देगा। लेकिन, वाक्य में जब इन शब्दों का प्रयोग होगा, तब अवबोधक अर्थ होगा- ‘गुप्तरूप से सलाह करना’।
(4) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है। जैसे- ‘लड़ाई में खेत आना’ । इसका अर्थ ‘युद्ध में शहीद हो जाना’ है, न कि लड़ाई के स्थान पर किसी ‘खेत’ का चला आना।
(5) मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के मापक है। इनकी अधिकता अथवा न्यूनता से भाषा के बोलनेवालों के श्रम, सामाजिक सम्बन्ध, औद्योगिक स्थिति, भाषा-निर्माण की शक्ति, सांस्कृतिक योग्यता, अध्ययन, मनन और आमोदक भाव, सबका एक साथ पता चलता है। जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक और कर्मठ होगा, उसकी भाषा में इनका प्रयोग उतना ही अधिक होगा।
(6) समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते हैं। नये समाज के साथ नये मुहावरे बनते है। प्रचलित मुहावरों का वैज्ञानिक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जायेगा कि हमारे सामाजिक जीवन का विकास कितना हुआ। मशीन युग के मुहावरों और सामन्तवादी युग के मुहावरों तथा उनके प्रयोग में बड़ा अन्तर है।
(7) हिन्दी के अधिकतर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भित्र-भित्र अंगों से है। यह बात दूसरी भाषाओं के मुहावरों में भी पायी जाती है; जैसे- मुँह, कान, हाथ, पाँव इत्यादि पर अनेक मुहावरे प्रचलित हैं। हमारे अधिकतर कार्य इन्हीं के सहारे चलते हैं।
यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।
( अ, आ )
अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भष्ट होना)- विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।
आँख भर आना (आँसू आना)- बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।
आँखों में बसना (हृदय में समाना)- वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।
अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना)- माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।
अंग टूटना (थकान का दर्द)- इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (स्वयं अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)- इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?
अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)- राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)- आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
आँखे खुलना (सचेत होना)- ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।
आँख का तारा – (बहुत प्यारा)- आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना)- राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)- आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।
अंगारों पर लेटना (डाह होना, दुःख सहना) वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।
अँगूठा दिखाना (समय पर धोखा देना)- अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।
अँचरा पसारना (माँगना, याचना करना)- हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।
अण्टी मारना (चाल चलना)- ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।
अण्ड-बण्ड कहना (भला-बुरा या अण्ट- सण्ट कहना)- क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।
अन्धाधुन्ध लुटाना (बिना विचारे व्यय)- अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?
अन्धा बनना (आगे-पीछे कुछ न देखना)- धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।
अन्धा बनाना (धोखा देना)- मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।
अन्धा होना (विवेकभ्रष्ट होना)- अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो ?
अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)- भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा।
अन्धेरखाता (अन्याय)- मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।
अन्धेर नगरी (जहाँ धांधली का बोलबाला हो)- इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है।
अकेला दम (अकेला)- मेरा क्या ! अकेला दम हूँ; जिधर सींग समायेगा, चल दूँगा।
अक्ल की दुम (अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला)- दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।
अगले जमाने का आदमी (सीधा-सादा, ईमानदार)- आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।
अढाई दिन की हुकूमत (कुछ दिनों की शानोशौकत)- जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।
अत्र-जल उठना (रहने का संयोग न होना, मरना)- मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।
अत्र-जल करना (जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।
अत्र लगना (स्वस्थ रहना)- उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।
अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)- बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होना, अलग रहना)-यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।
अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।
अब-तब होना (परेशान करना या मरने के करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।
आँच न आने देना (जरा भी कष्ट या दोष न आने देना)- तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच न आने दूँगा।
आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना)- इस उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना।
आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना)- धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।
आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)- उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।
आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना)- पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो ?
अगिया बैताल- (क्रोधी)
अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।
अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में डालना, इतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।
अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।
अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।
अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर जी अक्ल का पुतला थे।
अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना कठिन है।
अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।
अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)- वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।
अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।
अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)
अंकुश देना- (दबाव डालना)
अंग में अंग चुराना- (शरमाना)
अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर होना)
अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध करना)
अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)
अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)
अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)
अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)
अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)
अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)
अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)
अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)
आकाश-पाताल एक करना- (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना)
आकाश से तारे तोड़ना- (कठिन कार्य करना)
आकाश छूना- (बहुत ऊँचा होना)
आग का पुतला- (क्रोधी)
आग पर आग डालना- (जले को जलाना)
आग पर पानी डालना- (क्रुद्ध को शांत करना, लड़नेवालों को समझाना-बुझाना)
आग पानी का बैर- (सहज वैर)
आग बबूला होना- (अति क्रुद्ध होना)
आग बोना- (झगड़ा लगाना)
आग में घी डालना- (झगड़ा बढ़ाना, क्रोध भड़काना)
आग लगाकर तमाशा देखना- (झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना)
आग लगाकर पानी को दौड़ाना- पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)
आग लगने पर कुआँ खोदना- (पहले से करने के काम को ऐन वक़्त पर करने चलना)
आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना)
आग में कूद पड़ना- (खतरा मोल लेना)
आग उगलना- (क्रोध प्रकट करना)
आन की आन में- (फौरन ही)
आग रखना- (मान रखना)
आटे-दाल का भाव मालूम होना- (सांसरिक कठिनाइयों का ज्ञान होना)
आसमान दिखाना- (पराजित करना)
आड़े आना- (नुकसानदेह)
आड़े हाथों लेना- (झिड़कना, बुरा-भला कहना)
( ई )
ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश लाना )- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।
ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)- तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।
इधर-उधर करना- (टालमटोल करना)
इन्द्र का अखाड़ा-(ऐश-मौज की जगह)
( उ, ऊ )
उड़ती चिड़िया पहचानना (मन की या रहस्य की बात ताड़ना )- कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान लेता हुँ।
उन्नीस बीस का अंतर होना (एक का दूसरे से कुछ अच्छा होना )- दोनों गाये बस उन्नीस-बीस है।
उलटी गंगा बहाना (अनहोनी हो जाना)- राम किसी से प्रेम से बात कर ले, तो उलटी गंगा बह जाए।
( ए, ऐ )
एक आँख से देखना (बराबर मानना )- प्रजातन्त्र वह शासन है जहाँ कानून मजदूरी अवसर इत्यादि सभी मामले में अपने सदस्यों को एक आँख से देखा जाता है।
एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।
एक से तीन बनाना- (खूब नफा करना)
एक आँख न भाना- (तनिक भी अच्छा न लगना)
एक न चलना- (कोई उपाय सफल न होना)
एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना- (खूब परिश्रम करना)
(ओ, औ )
ओखली में सिर देना- इच्छापूर्वक किसी झंझट में पड़ना, कष्ट सहने पर उतारू होना)
ओस के मोती- (क्षणभंगुर)
मुहावरे (Idioms)
( क )
कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना)- आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।
कान देना (ध्यान देना)- पिता की बातों पर कण दिया करो।
कान खोलना (सावधान होना)- कान खोलकर सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।
कण पकरना (बाज आना)- कान पकड़ो की फिर ऐसा काम न करोगे।
कमर कसना (तैयार होना)- शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए
कलेजा मुँह का आना (भयभीत होना )- गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को आ गया
कलेजे पर साँप लोटना (डाह करना )- जो सब तरह से भरा पूरा है, दूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों लोटे।
कमर टूटना (बेसहारा होना )- जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।
किताब का कीड़ा होना (पढाई के अलावा कुछ न करना )- विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ शरीर और उत्रत मस्तिष्कवाला होनहार युवक होना है।
कलम तोड़ना (बढ़िया लिखना)- वाह ! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।
कोसों दूर भागना (बहुत अलग रहना)- शराब की क्या बात, मै तो भाँग से कोसों दूर भागता हुँ।
कुआँ खोदना (हानि पहुँचाने के यत्न करना)- जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।
कल पड़ना (चैन मिलना)- कल रात वर्षा हुई, तो थोड़ी कल पड़ी।
किरकिरा होना (विघ्र आना)- जलसे में उनके शरीक न होने से सारा मजा किरकिरा हो गया।
किस मर्ज की दवा (किस काम के)- चाहते हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो?
कुत्ते की मौत मरना (बुरी तरह मरना)- कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या।
काँटा निकलना (बाधा दूर होना)- उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला।
कागज काला करना (बिना मतलब कुछ लिखना)- वारिसशाह ने अपनी ‘हीर’ के शुरू में ही प्रार्थना की है- रहस्य की बात लिखनेवालों का साथ दो, कागज काला करनेवालों का नहीं।
किस खेत की मूली (अधिकारहीन, शक्तिहीन)- मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?
कलई खुलना- (भेद प्रकट होना)
कलेजा फटना- (दिल पर बेहद चोट पहुँचना)
करवटें बदलना- (अड़चन डालना)
काला अक्षर भैंस बराबर- (अनपढ़, निरा मूर्ख)
काँटे बोना- (बुराई करना)
काँटों में घसीटना- (संकट में डालना)
काठ मार जाना- (स्तब्ध हो जाना)
काम तमाम करना- (मार डालना)
किनारा करना- (अलग होना)
कौड़ी के मेल बिकना- (बहुत सस्ता बिकना)
कोदो देकर पढ़ना- (अधूरी शिक्षा पाना)
कपास ओटना- (सांसरिक काम-धन्धों में लगे रहना)
कीचड़ उछालना- (निन्दा करना)
कोल्हू का बैल- (खूब परिश्रमी)
कौड़ी का तीन समझना- (तुच्छ समझना)
कौड़ी काम का न होना- (किसी काम का न होना)
कौड़ी-कौड़ी जोड़ना- (छोटी-मोटी सभी आय को कंजूसी के साथ बचाकर रखना)
कचूमर निकालना- (खूब पीटना)
कटे पर नमक छिड़कना- विपत्ति के समय और दुःख देना)
कन्नी काटना- (आँख बचाकर भाग जाना)
कोहराम मचाना- (दुःखपूर्ण चीख -पुकार)
किस खेत की मूली- (अधिकारहीन, शक्तिहीन)
( ख )
ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।
खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।
खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)- कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?
खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।
खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)- उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।
खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।
खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक जाना)- बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।
खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।
खून सूखना- (अधिक डर जाना)
खून सवार होना- (किसी को मार डालने के लिए तैयार होना)
खून पीना- (मार डालना, सताना )
खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)
खम खाना- (दबना, नष्ट होना)
खटिया सेना- (बीमार होना)
खाक में मिलना- (बर्बाद होना)
खार खाना- (डाह करना)
खा-पका जाना- (बर्बाद करना)
खेल खेलाना- (परेशान करना)
खुशामदी टट्टू- (मुँहदेखी करना)
खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)
ख्याली पुलाव- (सिर्फ कल्पना करना)
( ग )
गले का हार होना(बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।
गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।
गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।
गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?
गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।
गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।
गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?
गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?
गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।
गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।
गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।
गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।
गाल बजाना- (डींग मारना)
काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)
गंगा लाभ होना- (मर जाना)
गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)
गुड़ गोबर करना- (बनाया काम बिगाड़ना)
गुड़ियों का खेल- (सहज काम)
गुरुघंटाल- (बहुत चालाक)
गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)
गज भर की छाती होना- (उत्साहित होना)
गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)
गोटी लाल होना- (लाभ होना)
गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)
गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)
( घ )
घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।
घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।
घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।
घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ।
घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।
घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?
घर का उजाला- (कुलदीप)
घर का मर्द- (बाहर डरपोक)
घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)
घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)
घास खोदना- (व्यर्थ काम करना)
घाव हरा होना- (भूले हुए दुःख को याद करना)
घाट-घाट का पानी पीना- (अच्छे-बुरे अनुभव रखना)
( च )
चल बसना (मर जाना)- बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।
चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।
चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना)- तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।
चिराग तले अँधेरा (पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण )- पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।
चैन की बंशी बजाना (मौज करना)- आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है।
चार दिन की चाँदनी (थोड़े दिन का सुख)- राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो तुम किस खेत की मूली हो ?
चींटी के पर लगना या जमना (विनाश के लक्षण प्रकट होना)- इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।
चूँ न करना (सह जाना, जवाब न देना)- वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहा, पर चूँ तक न की।
चादर से बाहर पैर पसारना (आय से अधिक व्यय करना)- डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है ?
चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना)- जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भला, चाँद पर भी थूका जाता है ?
चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?
चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरना, घबराना)- साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।
चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)- कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।
चलता-पुर्जा- (काफी चालाक)
चाँद का टुकड़ा- (बहुत सुन्दर)
चल निकलना- (प्रगति करना, बढ़ना)
चिकने घड़े पर पानी पड़ना- (उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ना)
चोली-दामन का साथ- (काफी घनिष्ठता)
चुनौती देना- (ललकारना)
चुल्लू भर पानी में डूब मरना- (अत्यन्त लज्जित होना)
चैन की वंशी बजाना- (सुख से समय बिताना)
चोटी का पसीना एँड़ी तक बहना- (खूब परिश्रम करना)
चण्डूखाने की गप- (झूठी गप)
चम्पत हो जाना- (भाग जाना)
चींटी के पर जमना- (ऐसा काम करना जिससे हानि या मृत्यु हो
चकमा देना- (धोखा देना)
चाचा बनाना- (दण्ड देना)
चरबी छाना- (घमण्ड होना)
चाँदी का जूता- (रूपये का जोर)
( छ )
छक्के छूटना (बुरी तरह पराजित होना)- महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है।
छप्पर फाडकर देना (बिना मेहनत का अधिक धन पाना)- ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है।
छाती पर पत्थर रखना (कठोर ह्रदय)- उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।
छाती पर सवार होना (आ जाना)- अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।
छक्के छुड़ाना- (खूब परेशान करना)
छठी का दूध याद करना- (सुख भूल जाना)
छाती पर मूँग या कोदो दलना- (कष्ट देना)
छः पाँच करना- (आनाकानी करना)
छाती पर साँप लोटना- (किसी के प्रति डाह)
छोटी मुँह बड़ी बात- (योग्यता से बढ़कर बोलना)
( ज, झ )
जहर उगलना (द्वेषपूर्ण बात करना )- पडोसी देश चीन और पाकिस्तान हमारे देश के प्रति हमेशा जहर उगलते रहते है।
जलती आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना)- बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया।
जमीन आसमान एक करना (बहुत प्रयन्त करना)- मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।
जान पर खेलना (साहसिक कार्य )- हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।
जूते चाटना (चापलूसी करना )- अफसरों के जूते चाटते -चाटते वह थक गया ,मगर कोई फल न निकला।
जड़ उखाड़ना- (पूर्ण नाश करना)
जंगल में मंगल करना- (शून्य स्थान को भी आनन्दमय कर देना)
जबान में लगाम न होना- (बिना सोचे-समझे बोलना)
जी का जंजाल होना- (अच्छा न लगना)
जमीन का पैरों तले से निकल जाना- (सन्नाटे में आना)
जमीन चूमने लगा- (धराशायी होना)
जान खाना- (तंग करना)
जी टूटना- (दिल टूटना)
जी लगना- (मन लगना)
जी खट्टा होना- (खराब अनुभव होना)
जीती मक्खी निगलना- (जान-बूझकर बेईमानी या कोई अशोभनीय कार्य करना)
जी चुराना- (कोशिश न करना)
झाड़ मारना- (घृणा करना)
झक मारना (विवश होना)- दूसरा कोई साधन नहीं हैै। झक मारकर तुम्हे साइकिल से जाना पड़ेगा।
( ट )
टाँग अड़ाना (अड़चन डालना)- हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?
टका सा जबाब देना ( साफ़ इनकार करना)- मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।
टस से मस न होना ( कुछ भी प्रभाव न पड़ना)- दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।
टोपी उछालना (अपमान करना)- अपने घर को देखो ,दूसरों की टोपी उछालने से क्या लाभ ?
टका-सा मुँह लेकर रह जाना- (लज्जित हो जाना)
टट्टी की आड़ में शिकार खेलना- (छिपकर बुरा काम करना)
टाट उलटना- (व्यापारी का अपने को दिवालिया घोषित कर देना)
टेढ़ी खीर- (कठिन काम)
टें-टें-पों-पों – (व्यर्थ हल्ला करना)
टुकड़ों पर पलना- (दूसरों की कमाई पर गुजारा करना)
( ठ )
ठन-ठन गोपाल- (मूर्ख, गरीब, कुछ नहीं)
ठगा-सा- (भौंचक्का-सा)
ठठेरे-ठठेरे बदला- (समान बुद्धिवाले से काम पड़ना)
( ड )
डकार जाना ( हड़प जाना)- सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।
डूबते को तिनके का सहारा- (संकट में पड़े को थोड़ी मदद)
डींग हाँकना- (शेखी बघारना)
डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना- (अलग-अलग होकर काम करना)
डोरी ढीली करना- (सँभालकर काम न करना)
( ढ )
ढील देना- (अधीनता में न रखना)
ढेर करना- (मारकर गिरा देना)
ढेर होना- (मर जाना)
ढोल पीटना- (जाहिर करना)
( त, थ )
तिल का ताड़ बनाना (बात को तूल देना)- सिर्फ बेहूदा, मगर मुहल्लेवालों ने यह तिल का तार कर दिया कि मैने उसे दुनयाभर गालियाँ दी।
तूती बोलना (प्रभाव जमाना )- आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है।
तह देना- (दवा देना)
तह-पर-तह देना- (खूब खाना)
तरह देना- (ख्याल न करना)
तंग करना- (हैरान करना)
तंग हाथ होना- (निर्धन होना)
तलवे चाटना या सहलाना- (खुशामद करना)
तिनके को पहाड़ करना- (छोटी बात को बड़ी बनाना)
तीन तरह करना या होना- (नष्ट करना, तितर बितर करना)
ताड़ जाना- (समझ जाना)
तुक में तुक मिलाना- (खुशामद करना)
तेवर बदलना- (क्रोध करना)
ताना मारना-(व्यंग्य वचन बोलना)
ताक में रहना- (खोज में रहना)
तारे गिनना- (दुर्दशाग्रस्त होना, काफी चोट पहुँचना)
तोते की तरह आँखें फेरना- (बेमुरौवत होना)
( थ )
थूक कर चाटना (बात देकर फिरना )- मै राम की तरह थूक कर चाटना वाला नहीं हूँ।
थाली का बैंगन होना- (जिसका विचार स्थिर न रहे)
थू-थू करना- (घृणा प्रकट करना)
( द,ध )
दम टूटना (मर जाना )- शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया।
दिन दूना रात चौगुना (खूब उनती )- योजनाओं के चलते ही देश का विकास दिन दूना रात चौगुना हुआ।
दाल में काला होना (संदेह होना ) – हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे -धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है।
दौड़-धूप करना (बड़ी कोशिश करना)- कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता ?
दो कौड़ी का आदमी (तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति)- किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो ?
दो टूक बात कहना (स्पष्ट कह देना)- अंगद ने रावण से दो टूक बात कही।
दो दिन का मेहमान (जल्द मरनेवाला)- किसी का क्या बिगाड़ेगा ? वह बेचारा खुद दो दिन का मेहमान है।
दूध के दाँत न टूटना (ज्ञानहीन या अनुभवहीन)- वह सभा में क्या बोलेगा ? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।
दम मारना- (विश्राम करना)
दम में दम आना- (राहत होना)
दाल गलना- (कामयाब होना, प्रयोजन सिद्ध होना)
दूज का चाँद होना- (कम दर्शन होना)
दाँव खेलना- (धोखा देना)
दिनों का फेर होना- (बुरे दिन आना)
दीदे का पानी ढल जाना- (बेशर्म होना)
दिमाग खाना- (बकवास करना)
दिल बढ़ाना- (साहस भरना)
दिल टूटना- (साहस टूटना)
दुकान बढ़ाना- (दूकान बंद करना)
दूध के दाँत न टूटना- (ज्ञान और अनुभव का न होना)
दूध का दूध पानी का पानी- (निष्पक्ष न्याय)
दायें-बायें देखना- (सावधान होना)
दिल दरिया होना- (उदार होना)
दो नाव पर पैर रखना- (इधर भी, उधर भी, दो पक्षों से मेल रखना)
( ध )
धज्जियाँ उड़ाना (किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना)- उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।
धता बताना- (टालना, भागना)
धरती पर पाँव न रखना- (घमंडी होना)
धाक जमाना- (रोब होना)
धुँआ-सा मुँह होना- (लज्जित होना)
धूप में बाल सफेद करना- (बिना अनुभव प्राप्त किये बूढा होना)
धूल छानना- (मारे-मारे फिरना)
धोबी का कुत्ता- (निकम्मा)
धोती ढीली होना- (डर जाना)
( न )
नौ-दो ग्यारह होना (चम्पत होना )- लोग दौड़े कि चोर नौ-दो ग्यारह हो गये।
न इधर का, न उधर का (कही का नही )- कमबख्त ने न पढ़ा, न बाप की दस्तकारी सीखी; न इधर रहा, न उधर का।
नाक का बल होना (बहुत प्यारा होना )- इन दिनों हरीश अपने प्रधानाध्यापक की नाक का बल बना हुआ है।
नाकों डीएम करना (परेशान करना )- पिछली लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों दम कर दिया।
नाक काटना (इज्जत जाना )- पोल खुलते ही सबके सामने उसकी नाक कट गयी।
नजर पर चढ़ना- (पसंद आ जाना)
नाच नचाना- (तंग करना)
नुक़्ताचीनी करना- (दोष दिखाना, आलोचना करना)
निन्यानबे के फेर में पड़ना- (धन जमा करने के चक्कर में पड़ना)
नजर चुराना- (आँख चुराना)
नमक अदा करना- (फर्ज पूरा करना, प्रत्युपकार करना)
नमक-मिर्चा लगाना- (बढ़ा-चढ़ाकर कहना)
नशा उतरना- (घमण्ड उतरना)
नदी-नाव संयोग- (ऐसी भेंट/मुलाकात जो कभी इत्तिफाक से हो जाय)
नसीब चमकना- (भाग्य चमकना)
नींद हराम होना- (तंग आना, सो न सकना)
नेकी और पूछ-पूछ- (बिना कहे ही भलाई करना)
( प, फ )
पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत )- अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।
पानी उतरना (इज्जत लेना )- भरी सभा में द्रोपदी को पानी उतारने की कोशिश की गयी।
पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख )- पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूँ, तब तुम्हारी सुनूँगा।
पहाड़ टूट पड़ना (भारी विपत्ति आना )- उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।
पट्टी पढ़ाना (बुरी राय देना)- तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं ?
पौ बारह होना (खूब लाभ होना)- क्या पूछना है ! आजकल तुम व्यापारियों के ही तो पौ बारह हैं।
पाँचों उँगलियाँ घी में (पूरे लाभ में)- पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेण्टों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता हैं।
पगड़ी रखना (इज्जत बचाना)- हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।
पगड़ी उतारना- (इज्जत उतारना)
पाकेट गरम करना- (घूस देना)
पहलू बचाना- (कतराकर निकल जाना)
पते की कहना- (रहस्य या चुभती हुई काम की बात कहना)
पानी का बुलबुला- (क्षणभंगुर वस्तु)
पानी देना- (तर्पण करना, सींचना)
पानी न माँगना- (तत्काल मर जाना)
पानी पर नींव डालना- (ऐसी वस्तु को आधार बनाना जो टिकाऊ न हो)
पानी-पानी होना- (अधिक लज्जित होना)
पानी-पानी करना- (लज्जित करना)
पानी पीकर जाति पूछना- (कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य का निर्णय करना)
पानी रखना- (मर्यादा की रक्षा करना)
पानी में आग लगाना- (असंभव कार्य करना)
पानी लगना (कहीं का)- (स्थान विशेष के बुरे वातावरण का असर होना )
पानी करना- (सरल कर देना)
पानी लेना- (अप्रतिष्ठित करना)
पानी की तरह बहना- (अन्धाधुन्ध करना)
पानी फिर जाना- (बर्बाद होना)
पापड़ बेलना- (दुःख से दिन काटना)
पोल खुलना- (रहस्य प्रकट करना)
पीठ ठोंकना- (साहस बँधाना)
पुरानी लकीर का फकीर होना/पुरानी लकीर पीटना- (पुरानी चाल मानना)
पैर पकड़ना- (क्षमा चाहना)
पीठ दिखलाना- (पलायन)
( फ )
फूलना-फलना (धनवान या कुलवान होना)- मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो।
फूला न समाना- (काफी खुश होना)
फूटी आँखों न भाना- (तनिक भी न सुहाना)
फफोले फोड़ना- (वैर साधना)
फबतियाँ कसना- (ताना मारना)
फूंक-फूंक कर कदम रखना- (सावधान होकर काम करना)
फूल झड़ना- (मधुर बोलना)
( ब )
बीड़ा उठना (दायित्व लेना)- गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।
बाजी ले जाना या मारना (जीतना)- देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है।
बात बनाना (बहाना बनाना)- तुम हर काम में बात बनाना जानते है।
बगुला भगत-(कपटी)
बगलें झाँकना- (बचाव का रास्ता ढूँढना)
बन्दरघुड़की देना- (धमकाना)
बहती गंगा में हाथ धोना- (वह मौका हाथ से न जाने देना जिससे सभी लाभ उठाते हों)
बाग-बाग होना- (खुश होना)
बाँसो उछलना- (काफी खुश होना)
बाजार गर्म होना- (सरगर्मी होना, तेजी होना)
बात का धनी- (वादे का पक्का, दृढप्रतिज्ञ)
बात की बात में- (अतिशीघ्र)
बात चलाना- (चर्चा करना)
बात न पूछना- (निरादार करना)
बात पर न जाना- (विश्वास न करना)
बात बनाना- (बहाना करना)
बात रहना- (वचन पूरा करना)
बातों में उड़ाना- (हँसी-मजाक में उड़ा देना)
बात पी जाना-(बर्दाश्त करना, सुनकर भी ध्यान न देना)
बायें हाथ का खेल- (सरल होना)
बाल की खाल निकालना- (छिद्रान्वेषण करना)
बालू की भीत- (शीघ्र नष्ट होनेवाली चीज)
बेसिर-पैर की बात-(निराधार बात)
बोलबाला- (प्रसिद्ध)
( भ )
भीगी बिल्ली होना (डर से दबना)- वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।
भाड़े का टट्टू- (गया-बीता)
भेड़ियाधसान होना-(देखा-देखी करना)
भाड़ झोंकना- (समय नष्ट करना)
भूत चढ़ना या सवार होना- (किसी बात की जिद पकड़ना, रंज के मारे आगा-पीछा भूल जाना)
भारी लगना- (असहय होना)
भनक पड़ना- (उड़ती हुई खबर सुनना)
( म )
मुँह धो रखना (आशा न रखना)- यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।
मुँह में पानी आना (लालच होना)- मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
मैदान मारना (बाजी जीतना)- पानीपत की लड़ाई में आखिर अब्दाली ही मैदान मारा।
मिट्टी के मोल बिकना(बहुत सस्ता)- यह मकान मिट्टी के मोल बिक गया
मुट्ठी गरम करना (घूस देना)- पुलिस की मुठ्ठी गरम करो ,तो काम होगा।
मुँह बंद कर देना (शांत कराना)- तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो
मर मिटना- (बर्बाद होना)
मांस नोचना- (तंग करना)
मोम हो जाना- (खूब नरम बन जाना)
मन फट जाना- (विराग होना, फीका पड़ना)
मिट्टी में मिलना- (नष्ट होना)
मन चलना- (इच्छा होना)
मन के लड्डू खाना- (व्यर्थ की आशा पर प्रसन्न होना)
मैदान साफ होना- (मार्ग में बाधा न होना)
मीन-मेख करना- (व्यर्थ तर्क)
मन खट्टा होना- (मन फिर जाना)
मिट्टी पलीद करना- (जलील करना)
मोटा आसामी- (मालदार आदमी)
मुठभेड़ होना- (मुकाबला होना)
( य )
यश गाना- (प्रशंसा करना, एहसान मानना)
यश मानना- (कृतज्ञ होना)
युग-युग- (बहुत दिनों तक)
युगधर्म- (समय के अनुसार चाल या व्यवहार)
युगांतर उपस्थित करना- (किसी पुरानी प्रथा को हटाकर उसके स्थान पर नई प्रथा चलाना)
( र )
रंग जमना (धाक जमना)- तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा।
रंग बदलना (परिवर्तन होना)- जमाने का रंग बदल गया है।
रंग उतरना (फीका होना)- सजा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।
रंग में भंग होना- (आनन्द में बिघ्न पड़ना)
रंग लाना- (प्रभाव दिखाना)
रंगा सियार- (ढोंगी)
रफूचक्कर होना- (भाग जाना)
रसातल चला जाना- (एकदम नष्ट हो जाना)
राई से पर्वत होना- (छोटे से बड़ा होना)
रीढ़ टूटना- (आधार समाप्त होना)
रोटियाँ तोड़ना- (बैठे-बैठे खाना)
रोना रोना- (दुखड़ा सुनाना)
( ल )
लोहे के चने चबाना ( कठिनाई झेलना)- भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
लकीर का फकीर होना (पुरानी प्रथा पर ही चलना)- ये अबतक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।
लोहा मानना (श्रेष्ठ समझना)- आज दुनिया भरतीय जवानों का लोहा मानती है।
लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि)- नया काम हैं। सोच-समझकर आगे बढ़ना। कहीं लेने के देने न पड़ जायें।
लँगोटी पर (में) फाग खेलना- (अल्पसाधन होते हुए भी विलासी होना)
लाख से लाख होना- (कुछ न रह जाना)
लाले पड़ना- (मुँहताज होना)
लुटिया डुबोना- (काम बिगाड़ना)
लोहा बजना- (युद्ध होना)
लँगोटिया यार- (बचपन का दोस्त)
लहू होना- (मुग्ध होना)
लग्गी से घास डालना- (दूसरों पर टालना)
लल्लो-चप्पो करना- (खुशामद करना, चिरौरी करना)
लहू का घूंट पीना- (बर्दाश्त करना)
लाल-पीला होना- (रंज होना)
( व )
वचन हारना- (जबान हारना)
वचन देना- (जबान देना)
वक़्त पर काम आना- (विपत्ति में मदद करना)
( श, ष )
शर्म से गड़ जाना- (अधिक लज्जित होना)
शर्म से पानी-पानी होना- (बहुत लजाना)
शान में बट्टा लगना- (इज्जत में धब्बा लगना)
शेखी बघारना- (डींग हाँकना)
शौतान की आँत- (बहुत बड़ा)
शौतान की खाला- (झगड़ालू स्त्री)
शिकार हाथ लगना- (असामी मिलना)
षटराग (खटराग) अलापना- (रोना-गाना, बखेड़ा शुरू करना, झंझट करना)
( स )
श्रीगणेश करना (शुभारम्भ करना)- कोई शुभ दिन देखकर किसी शुभ कर्म का श्रीगणेश करना चाहिए।
सर्द हो जाना (डरना, मरना)- बड़ा साहसी बनता था, पर भूत का नाम सुनते ही सर्द हो गया।
साँप-छछूंदर की हालत (दुविधा)- पिता अलग नाराज है, माँ अलग। किसे क्या कहकर मनाऊँ ?मेरी तो साँप-छछूंदर की हालत है इन दिनों।
समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)- रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहनेवालों को उसने लात मारी।
सिक्का जमना (प्रभाव जमना)- आज तुम्हारे भाषण का वह सिक्का जमा कि उसके बाद बाकी वक्ता जमे ही नहीं।
सवा सोलह आने सही (पूरे तौर पर ठीक)- राम की सेना में हनुमान इसलिए श्रेष्ठ माने जाते थे कि हर काम में वे ही सवा सोलह आने सही उतरते थे।
सिर पर आ जाना (बहुत नजदीक होना)- परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।
सिर खुजलाना (बहलाना करना)- सिर न खुजलाओ, देना है तो दो।
सर धुनना (शोक करना)- राम परीक्षा में असफल होने पर सर धुनने लगी।
सर गंजा कर देना (खूब पीटना)- भागो यहाँ से, नही तो सर गंजा कर दूँगा।
सफेद झूठ (सरासर झुठ)- यह सफेद झूठ है कि मैंने उसे गाली दी।
सब्ज बाग दिखाना- (बड़ी-बड़ी आशाएँ दिलाना)
सितारा चमकना या बुलंद होना- (भाग्योदय होना)
सिप्पा भिड़ाना- (उपाय करना)
सात-पाँच करना- (आगे पीछे करना)
सुबह का चिराग होना- (समाप्ति पर आना)
सैकड़ों घड़े पानी पड़ना- (लज्जित होना)
सन्नाटे में आना/सकेत में आना- (स्तब्ध हो जाना)
सब धान बाईस पसेरी- (सबके साथ एक-सा व्यवहार, सब कुछ बराबर समझना)
( ह )
हाथ पैर मारना (काफी प्रयास )- राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।
हाथ मलना (पछताना )- समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?
हाथ देना (सहायता करना )- आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा।
हाथोहाथ (जल्दी )- यह काम हाथोहाथ होकर रहेगा।
हथियार डाल देना (हार मान लेना)- जब कुछ करते न बना तो उसने हथियार डाल दिये।
हाथ के तोते उड़ना- (अचानक शोक-समाचार सुनकर स्तब्ध हो जाना)
होश उड़ जाना- (घबड़ा जाना)
हक्क-बक्का रह जाना- (भौंचक रह जाना)
हजामत बनाना- (ठगना)
हवा लगना- (संगति का प्रभाव (बुरे अर्थ में)
हवा खिलाना- (कहीं भेजना)
हड्डी-पसली दुरुस्त करना- (खूब मारना)
हड़प जाना- (हजम कर जाना)
हल्का होना- (तुच्छ होना, कम होना)
हल्दी-गुड़ पिलाना- (खूब मारना)
हवा पर उड़ना- (इतराना)
हृदय पसीजना- (दयार्द्र होना, द्रवित होना)
(शरीर के अंगो पर मुहावरे)
(1)(‘आँख’ पर मुहावरे)
आँखें खुलना (होश आना, सावधान होना)- जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी हैं।
आँखें चार होना (आमने-सामने होना)- जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है।
आँखें मूँदना (मर जाना)- आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली।
आँखें चुराना (नजर बचाना, अपने को छिपाना)- मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा।
आखों में खून उतरना (अधिक क्रोध करना)- बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया।
आँखों में गड़ना (किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा)- उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है।
आँखें फेर लेना (उदासीन हो जाना)- मतलब निकल जाने के बाद उसने मेरी ओर से बिलकुल आँखें फेर ली है।
आँख मारना (इशारा करना)- उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है।
आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं।
आँखों का काँटा होना (शत्रु होना)- वह मेरी आँखों का काँटा हो रहा है।
आँख उठाना- (हानि पहुँचाने की दृष्टि से देखना)
आँखें ठंढी होना- (इच्छा पूरी होना)
आँख दिखाना- (क्रोध प्रकट करना)
आँखों पर बिठाना- (आदर करना)
आँख भर आना- (आँसू आना)
आँखों में धूल डालना- (धोखा देना)
आँखें लड़ना- (देखादेखी होना, प्रेम होना)
आँखें लाल करना- (क्रोध की नजर से देखना)
आँखें थकना- (प्रतीक्षा में निराश होना)
आँखों में चर्बी छाना- (घमण्डी होना)
आँखों में खटकना- (बुरा लगना)
आँखें नीली-पीली करना- (नाराज होना)
आँख का अंधा, गाँठ का पूरा- (मूर्ख धनवान)
आँखों की किरकिरी होना- (शत्रु होना)
आँखों का प्यारा या पुतली होना- (बहुत प्यारा होना)
आँखों का पानी ढल जाना- (लज्जारहित हो जाना)
आँखें सेंकना- (किसी की सुन्दरता देख आँखें जुड़ाना)
आँखें आना- (आँख में एक प्रकार की बीमारी होना)
आँखें गड़ाना- (दिल लगाना, इच्छा करना)
आँख फड़कना- (सगुन उचरना)
आँखें लगना- (प्रेम करना, जरा-सी नींद आना)
आँख रखना- (ध्यान रखना)
आँख में पानी रखना- (मुरौवत रखना)
(2) (अँगूठा पर मुहावरे)
अँगूठा चूमना- (खुशामद करना)
अँगूठा दिखाना- (देने से इंकार करना)
अँगूठा नचाना- (चिढाना)
(3) (आँसू पर मुहावरे)
आँसू पोंछना- (धीरज बँधाना)
आँसू बहाना- (खूब रोना)
आँसू पी जाना- (दुःख को छिपा लेना)
(4)(ओठ पर मुहावरे)
ओठ चाटना- (स्वाद की इच्छा रखना)
ओठ मलना- (दण्ड देना)
ओठ चबाना- (क्रोध करना)
ओठ सूखना- (प्यास लगना)
(5)(ऊँगली पर मुहावरे)
ऊँगली उठना- (निन्दा होना)
ऊँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना- (थोड़ा-सा सहारा पाकर अधिक के लिए उत्साहित होना)
कानों में ऊँगली देना- (किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना)
पाँचों उँगलियाँ घी में होना- (सब प्रकार से लाभ-ही-लाभ)
सीधी ऊँगली से घी न निकलना- (भलमनसाहत से काम न होना)
(6) (‘कान’ पर मुहावरे)
कान खोलना (सावधान करना)- मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा।
कान खड़े होना (होशियार होना)- दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये।
कान फूंकना (दीक्षा देना, बहकाना)- मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी।
कान लगाना (ध्यान देना)- उसकी बातें कान लगाने योग्य हैं।
कान भरना (पीठ-पीछे शिकायत करना)- तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो।
कान में तेल डालना (कुछ न सुनना)- मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे हैं।
कान पर जूँ न रेंगना (ध्यान न देना, अनसुनी करना)- सरकार तो बड़ी-बड़ी बातें कहती है, मगर अफसरों के कान पर जूँ नहीं रेंगती।
कान देना (ध्यान देना)- शिक्षकों की बातों पर कान दीजिए।
कान उमेठना- (शपथ लेना)
कान पकड़ना- (प्रतिज्ञा करना)
कानों कान खबर होना- (बात फैलना)
कान काटना- (बढ़कर काम करना)
(7) ( कलेजा पर मुहावरे )
कलेजे से लगाना- (प्यार करना, छाती से चिपका लेना)
कलेजा काँपना- (डरना)
कलेजा थामकर रह जाना- (अफसोस कर रह जाना)
कलेजा निकाल कर रख देना- (अतिप्रिय वस्तु अर्पित कर देना)
कलेजा ठंढा होना- (संतोष होना)
(8) (‘नाक’ पर मुहावरे)
नाक कट जाना (प्रतिष्ठा नष्ट होना)- पुत्र के कुकर्म से पिता की नाक कट गयी।
नाक काटना (बदनाम करना)- भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली।
नाक-भौं चढ़ाना (क्रोध अथवा घृणा करना)- तुम ज्यादा नाक-भौं चढ़ाओगे, तो ठीक न होगा।
नाक में दम करना (परेशान करना)- शहर में कुछ गुण्डों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है।
नाक का बाल होना (अधिक प्यारा होना)- मैनेजर मुंशी की न सुनेगा तो किसकी सुनेगा ?वह तो आजकल उसकी नाक का बाल बना हुआ है।
नाक रगड़ना (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना)- उसने मालिक के सामने बहुत नाक रगड़ी, पर सुनवाई न हुई।
नाकों चने चबवाना (तंग करना)- भारतीयों ने अंगरेजों को नाकों चने चबवा दिये।
नाक पर मक्खी न बैठने देना (निर्दोष बचे रहना)- उसने कभी नाक पर मक्खी बैठने ही न दी।
नाक पर गुस्सा (तुरन्त क्रोध)- गुस्सा तो उसकी नाक पर रहता है।
नाक रखना- (प्रतिष्ठा रखना)
(9) (‘मुँह’ पर मुहावरे)
मुँह छिपाना (लज्जित होना)- वह मुझसे मुँह छिपाये बैठा है।
मुँह पकड़ना (बोलने से रोकना)- लोकतन्त्र में कोई किसी का मुँह नहीं पकड़ सकता।
मुँह की खाना (बुरी तरह हारना)- अन्त में उसे मुँह की खानी पड़ी।
मुँह दिखाना (प्रत्यक्ष होना)- तुमने ऐसा कुकर्म किया है कि अब किसी के सामने मुँह दिखाने के लायक न रहे।
मुँह उतरना (उदास होना)- परीक्षा में असफल होने पर श्याम का मुँह उतर आया।
मुँह खुलना- (उदण्डतापूर्वक बातें करना, बोलने का साहस होना)
मुँह देना, या डालना- (किसी पशु का मुँह डालना)
मुँह बन्द होना- (चुप होना)
मुँह में पानी भर आना- (ललचना)
मुँह से लार टपकना- (बहुत लालची होना)
मुँह काला होना- (कलंक या दोष लगना)
मुँह धो रखना- (आशा न रखना)
मुँह पर (या चेहरे पर) हवाई उड़ना)- (घबराना)
मुँहफट हो जाना- (निर्लज्ज होना)
मुँह फुलाना- (रूठ जाना)
मुँह बनाना- (असंतुष्ट होना)
मुँह मोड़ना- (ध्यान न देना)
मुँह लगाना- (सिर चढ़ाना)
मुँह रखना- (लिहाज रखना)
मुँहदेखी करना- (पक्षपात करना)
मुँह चुराना- (संकोच करना)
मुँह में लगाम न होना- (जो मुँह में आवे सो कह देना)
मुँह चाटना- (खुशामद करना)
मुँह भरना- (घूस देना)
मुँह लटकना- (रंज होना)
मुँह आना- (मुँह की बीमारी होना)
मुँह की खाना- (परास्त होना)
मुँह सूखना- (भयभीत होना)
मुँह ताकना- (किसी का आसरा करना)
मुँह में खून लगना- (बुरी चाट पड़ना, चसका लगना)
मुँह फेरना- (अकृपा करना)
मुँह मीठा करना- (प्रसन्न करना)
मुँह से फूल झड़ना- (मधुर बोलना)
मुँह में घी-शक्कर- (किसी अच्छी भविष्यवाणी का अनुमोदन करना)
मुँह से मुँह मिलाना- (हाँ-में-हाँ मिलाना, बही-खाता आदि में हिसाब सही न लिखकर भी जमा-खर्च या उत्तर सही लिख देना )
(10) (‘दाँत’ पर मुहावरे)
दाँत दिखाना (खीस काढ़ना)- खुद ही देर की और अब दाँत दिखाते हो।
दाँत तले ऊँगली दबाना (चकित होना)- ढाके की मलमल देखकर इंगलैण्ड के जुलाहे दाँतों तले ऊँगली दबाते थे।
दाँत काटी रोटी (गहरी दोस्ती)- राम के पिता से श्याम के पिता की दाँत काटी रोटी है।
दाँत गिनना (उम्र पता लगाना)- कुछ लोग ऐसे है कि उनपर वृद्धावस्था का असर ही नहीं होता। ऐसे लोगों के दाँत गिनना आसान नहीं।
दाँत खट्टे करना- (पस्त करना)
तालू में दाँत जमना- (बुरे दिन आना)
दाँत जमाना- (अधिकार पाने के लिए दृढ़ता दिखाना)
दाँत गड़ाना- (किसी वस्तु को पाने के लिए गहरी)
दाँत गिनना- (उम्र बताना)
(11) (‘बात’ पर मुहावरे)
बात का धनी (वायदे का पक्का)- मैं जानता हूँ, वह बात का धनी है।
बात की बात में (अति शीघ्र)- बात की बात में वह चलता बना।
बात चलाना (चर्चा चलाना)- कृपया मेरी बेटी के ब्याह की बात चलाइएगा ।
बात तक न पूछना (निरादर करना)- मैं विवाह के अवसर पर उसके यहाँ गया, पर उसने बात तक न पूछी।
बात बढ़ाना (बहस छिड़ जाना)- देखो, बात बढाओगे तो ठीक न होगा।
बात बनाना (बहाना करना)- तुम्हें बात बनाने से फुर्सत कहाँ ?
(12) (‘सिर’ पर मुहावरे)
सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना)- देखता हूँ, मेरे सामने कौन सिर उठाता है ?
सिर भारी होना (सिर में दर्द होना, शामत सवार होना)- मेरा सिर भारी हो रहा है। किसका सिर भारी हुआ है जो इसकी चर्चा करें ?
सिर पर सवार होना (पीछे पड़ना)- तुम कब तक मेरे सिर पर सवार रहोगे ?
सिर से पैर तक (आदि से अन्त तक)- तुम्हारी जिन्दगी सिर से पैर तक बुराइयों से भरी है।
सिर पीटना (शोक करना)- चोर उस बेचारे की पाई-पाई ले गये। सिर पीटकर रह गया वह।
सिर पर भूत सवार होना (एक ही रट लगाना, धुन सवार होना)- मालूम होता है कि घनश्याम के सिर पर भूत सवार हो गया है, जो वह जी-जान से इस काम में लगा है।
सिर फिर जाना (पागल हो जाना)- धन पाकर उसका सिर फिर गया है।
सिर चढ़ाना (शोख करना)- बच्चों को सिर चढ़ाना ठीक नहीं।
सिर आँखों पर होना- (सहर्ष स्वीकार होना)
सिर पर चढ़ना- (शेख होना)
सिर ऊँचा करना- (आदर का पात्र होना)
सिर खाना- (बकवास करना)
सिर झुकाना- (आत्मसमर्पण करना)
सिर पर पांव रखकर भागना- (बहुत जल्द भाग जाना)
सिर पड़ना- (नाम लगना)
सिर खुजलाना- (बहाना करना)
सिर धुनना- (शोक करना)
सिर चढ़कर बोलना- (छिपाये न छिपना)
सिर मारना- (प्रयत्न करना)
सिर पर खेलना- (प्राण दे देना)
सिर गंजा कर देना- (मारने का भय दिखाना)
सिर पर कफन बाँधना- (शहादत के लिए तैयार होना)
(13) (‘गर्दन’ पर मुहावरे)
गर्दन उठाना (प्रतिवाद करना)- सत्तारूढ़ सरकार के विरोध में गर्दन उठाना टेढ़ी खीर है।
गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना)- जब देखो, तब मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
गर्दन काटना (जान से मारना, हानि पहुँचाना)- वह तो उनकी गर्दन काट डालेगा। झूठी शिकायत कर क्यों गरीब की गर्दन काटने पर तुले हो ?
गर्दन पर छुरी फेरना- (अत्याचार करना)
(14) ( हाथ पर मुहावरे)
हाथ आना- (अधिकार में आना)
हाथ खींचना- (अलग होना)
हाथ खुजलाना- (किसी को पीटने को जी चाहना
हाथ देना- (सहायता देना)
हाथ पसारना- (माँगना)
हाथ बँटाना- (मदद करना)
हाथ लगाना- (आरंभ करना)
हाथ मलना- (पछताना)
हाथ गरम करना- (घूस देना)
हाथ चूमना- (हर्ष व्यक्त करना)
हाथ धोकर पीछे पड़ना- (जी-जान से लग जाना)
हाथ पर हाथ धरे बैठना- (बेकार बैठे रहना)
हाथ फैलना- (याचना करना)
हाथ मारना- (उड़ा लेना, लाभ उठाना)
हाथ साफ करना- (मारना, उड़ा लेना, खूब खाना)
हाथ धो बैठना- (आशा खो देना)
हाथापाई करना- (मुठभेड़ होना)
हाथ पकड़ना- किसी स्त्री को पत्नी बनाना, आश्रय देना)
(15) ( मिथकीय/ऐतिहासिक नामों से संबद्ध मुहावरे )
अलाउदीन का चिराग- (आश्चर्यजनक वस्तु)
इन्द्र का अखाड़ा- (रास-रंग से भरी सभा)
इन्द्रासन की परी- (बहुत सुंदर स्त्री)
कर्ण का दान- (महादान)
कारूं का खजाना- (अतुल धनराशि)
कुबेर का धन/कोश- (अतुल धनराशि)
कुम्भकर्णी नींद- (बहुत गहरी, लापरवाही की नींद)
गोबर गणेश- (मूर्ख, बुद्धू, निकम्मा)
गोरख धंधा- (बखेड़ा, झंझट)
चाणक्य नीति- (कुटिल नीति)
छुपा रुस्तम- (असाधारण किन्तु अप्रसिद्ध गुणी)
तीसमार खां बनना- (अपने को बहुत शूरवीर समझना और शेखी बघारना)
तुगलकी फरमान- (जनता की सुविधा-असुविधा का ख्याल किये बिना जारी किया गया शासनादेश
दूर्वासा का रूप- (बहुत क्रोध करना)
दुर्वासा का शाप- (उग्र शाप)
धन-कुबेर- (अधिक धनवान)
नादिरशाही हुक्म- (मनमाना हुक्म)
नारद मुनि- (इधर-उधर की बातें कर कलह कराने वाला व्यक्ति)
परशुराम का कोप- (अत्यधिक क्रोध)
पांचाली चीर- (बड़ी लंबी, समाप्त न होनेवाली वस्तु)
ब्रह्म पाश/फांस- (अत्यधिक मजबूत फंदा)
भगीरथ प्रयत्न- (बहुत बड़ा प्रयत्न)
भीष्म प्रतिज्ञा- (कठोर प्रतिज्ञा)
महाभारत- (भयंकर झगड़ा, भयंकर युद्ध)
महाभारत मचना- (खूब लड़ाई-झगड़ा होना)
यमलोक भेजना- (मार डालना)
राम बाण- (तुरन्त प्रभाव दिखाने या कभी न चूकने वाली चीज)
राम राज्य- (ऐसा राज्य जिसमें बहुत सुख हो)
राम कहानी- (अपनी कहानी, आपबीती)
राम जाने- (मुझे नहीं मालूम, एक प्रकार की शपथ खाना)
राम नाम सत्त हो जाना- (मर जाना)
रामबाण औषध- (अचूक दवा)
राम राम करना- (नमस्कार करना, भगवान का नाम जपना)
लंका काण्ड- (भयंकर विनाश)
लंका ढहाना- (किसी का सत्यानाश कर देना)
लक्ष्मण रेखा- (अलंघ्य सीमा या मर्यादा)
विभीषण- (घर का भेदी/ भेदिया)
शेखचिल्ली के इरादे- (हवाई योजना, अमल में न आने वाले (कार्य रूप में परिणत न होने वाले) इरादे
सनीचर सवार होना- (दुर्भाग्य आना, बुरे दिन आना)
सुदामा की कुटिया- (गरीब की झोंपड़ी)
हम्मीर हठ-(अनूठी आन)
हातिमताई- (दानशील, परोपकारी)