समीक्ष्य कृति:  हवा का इंतजाम (बालकथा- संग्रह) 
लेखक : गोविंद शर्मा 
प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर -03
प्रथम संस्करण : 2021.
पृष्ठ संख्या : 80,   मूल्य :  ₹200.00/- (सजिल्द)

भाव संवेदनाओं से संपृक्त प्रेरक बालकथा-संग्रह :हवा का इंतजाम

विगत पाँच दशकों से सृजन-कर्म में रत सिद्धि-लब्ध बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा का  सद्य प्रकाशित बालकथा-संग्रह “हवा का इंतजाम” ने बाल साहित्य जगत में एक और पुरजोर दस्तक दी है। यह बालकों के जीवन में संस्कारों की उज्ज्वल जोत जगाता है  तथा उनका समुचित मार्गदर्शन ,ज्ञानवर्धन व मनोरंजन करता है। गोविंद जी के अनुसार – यह संग्रह उनका गृह-उत्पाद है।उनके शब्दों में कहें तो – ” इस संग्रह को मेरा गृह-उत्पाद भी कह सकते हैं। कहानियाँ मैंने लिखी हैं, कहानियों के साथ रेखाचित्र और प्रथम आवरण मेरी दोहिती प्राची मटोलिया ने बनाए हैं।
एक कहानी ‘वनराज और गजराज’का रेखाचित्र और अंतिम कवर मेरे पौत्र अम्बुज शर्मा ने बनाया है। कहानियों को क्रम दिया है,छोटे पौत्र रितिक शर्मा ने।”

समीक्ष्य कृति में कुल 17 बाल कथाएँ संगृहीत हैं, जो बाल मनोविज्ञान के धरातल पर आधारित, सरल व सुबोध भाषा में रचित हैं तथा भाव-संवेदनाओं से संपृक्त हैं। इनमें बाल सुलभ जिज्ञासा,कौतूहल, कल्पना का समुचित वैभव, रोचकता और मनोरंजन के साथ सामाजिक संदेश भी विद्यमान हैं जो पुस्तक की 
अर्थवत्ता ,बोधगम्यता व  उपादेयता में चार चाँद लगाते हैं। 

IMG 20201225 WA0000

संग्रह की पहली बालकथा “हवा का इंतजाम” 
दादा-पोते के आत्मिक प्यार को उद्घाटित करती है 
और संयुक्त परिवार के महत्त्व को भी प्रतिपादित करती है क्योंकि बाल प्रतिभा के सर्वांगीण विकास में माता-पिता के लालन-पालन व निर्देशन के साथ दादा-दादी के निश्छल प्यार की भी अहम भूमिका
होती है। इसी कहानी की मूल संवेदना के आधार पर आलोच्य कृति का नामकरण “हवा का इंतजाम” किया गया है जो कि सर्वथा समीचीन एवं उपयुक्त है।

“वनराज और गजराज” कहानी में शेर को वनराज और हाथी को गजराज कहने की सार्थकता पर रोचक ढंग से संवादात्मक शैली में प्रकाश डाला गया है।
“कला की कद्र” कहानी प्रस्तुतीकरण और सन्देश की दृष्टि से बहुत उत्कृष्ट है। इसमें कला के महत्त्व पर प्रकाश डालने के साथ उच्च विचारों की उपादेयता 
को भी रेखांकित किया गया है। 
गोविंद शर्मा की इन कहानियों को पढ़कर बालक संस्कारवान बनेंगे और उनमें कला व उच्च विचारों के प्रति आस्था पैदा होगी।

” चिंपू के सच्चे दोस्त” और “चिंपू बन गया” कहानियाँ
भी बड़ी प्रभविष्णु और शिक्षाप्रद हैं। “चिंपू के सच्चे दोस्त” में बताया गया है कि जानवर मानव से गुणों में कम नहीं होते। वे बड़े समझदार होते हैं।हमें उन पर शक नहीं करना चाहिए तथा “चिंपू बन गया” कहानी मानव के मनोविज्ञान पर प्रकाश डालती है। यदि किसी मानव के सामने उसकी प्रशंसा की जाए तो वह ऊर्जावान हो कर अच्छा प्रदर्शन करने लगता है और सफ़लता अर्जित कर लेता है।
“हौसले की उड़ान” बैल की जगह गाड़ी में खुद जुत कर पानी की सेवा करने वाले आसाराम की प्रेरणादायी व शिक्षाप्रद कहानी है।
“चूहागढ़ में चुनाव” हास्य मिश्रित व्यंग्यात्मक शैली में रचित एक प्रभावशाली बालकथा है। इसमें सरकारी गोदामों की दुर्दशा पर तीक्ष्ण कटाक्ष किया गया है। लेखक ने सरकारी गोदामों को चूहागढ़ कहा है क्योंकि वहाँ असंख्य चूहों का साम्राज्य होता है। कहानी में दो चूहों ‘उल्टा’और ‘पुल्टा’ के बीच चुनाव लड़ने की प्रतियोगिता होती है। ‘उल्टा’ चुनाव जीत कर चूहागढ़ में सुधार करना चाहता है। वह अपना चुनाव घोषणा-पत्र तैयार करता है। उसका मानना है कि चूहे अनाज की नई-नई बोरियों को काट देते हैं।उनमें से थोड़ा-सा अनाज खाते हैं और बहुत-सा अनाज खराब कर देते हैं। अतः वह चाहता है कि अनाज की बोरियों को रखते समय जो अनाज जमीन पर नीचे गिर जाता है,चूहे उसी अनाज को खाएँ,वे  बोरियों को न काटें।
परन्तु ‘पुल्टा’  “खूब खाने और खूब बिखराने” की नीति में विश्वास  रखता है ।वह इंसानों को अपने ख़िलाफ़ मानता है कि “वे हमें पिंजरों में बंद कर के खुले में,झाड़ियों में या दूसरों के घरों में छोड़ देते हैं और
हमें मरवाने के लिए बिल्लियाँ  पालते हैं।” 
चुनाव हुआ ।उल्टा चुनाव जीत गया। ज़्यादातर वोटरों ने अच्छा काम करने के पक्ष में वोट दिए। पुल्टा ने उल्टा को बधाई दी और उसकी नीति के अनुसार ही अच्छा काम करने का मन बनाया। उसने उल्टा से कहा- ” ठीक है, अब मेरी बात सुनो। तुम्हें सौ में से नब्बे ने सही माना है। अब मैं भी तुम्हें सही मान गया हूँ। जो नौ हैं उन्हें हम दोनों मिलकर बनाएंगे ।तुमने बहुत अच्छी बातें अपने घोषणा-पत्र में लिखी हैं। एक मेरी तरफ से जोड़ लेना कि हम चूहे अब यहाँ-वहाँ खुले में शौच नहीं करेंगे। इसके लिए कुछ स्थान निश्चित करेंगे।हमारे शौच से ही अनाज दूषित होता है जब हम किसी के लिए नुकसान पहुँचाने वाले नहीं होंगे तो वे हमें क्यों मारेंगे?”
” वाह, मैं तुमसे सहमत हूँ।” 
“हम अपने चूहागढ़ में सुधार करेंगे।उसके बाद  दूसरी जगह स्थित चूहागाँव, चूहानगर,चूहापुर,चूहा कॉलोनी में हम अच्छी बातों के लिए काम करेंगे।”पृष्ठ-34.
इस प्रकार लेखक ने प्रस्तुत कहानी के माध्यम से बालकों  के मन में अच्छाई  का बीजारोपण करने का
श्लाघनीय प्रयास किया है तथा यहाँ-वहाँ शौच न करने व स्वच्छता को बढ़ावा देने के सामयिक सामाजिक स्वच्छता अभियान को पुष्ट किया है। 
ये कहानियाँ न केवल बालकों के लिए उपयोगी हैं अपितु हर वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणादायी ,
मनोरंजक व ज्ञानवर्धक हैं।

इन बाल कहानियों के अतिरिक्त ” टांय-टांय फिश, बब्बू जी और मोबाइल,परीक्षा परी का उपहार,देश की सेवा,वह सच बोला,बुद्धि की तलाश,दोस्ती, बदल गया बदलू, जूते व हाथी पर ऊँट आदि कहानियाँ विविध विषयों पर आधारित बहुत रोचक, ,ज्ञानवर्धक एवं सन्देशप्रद हैं जो देश प्रेम, मानव सेवा ,वृक्षारोपण,
दोस्ती की उपादेयता व सत्य बोलने के महत्त्व आदि पर सरल शब्दों में प्रकाश डालती हैं। 
बाल कहानियों की कथावस्तु से मेल खाते आकर्षक चित्र इस कृति का वैशिष्टय हैं जो समीक्ष्य कृति की बोधगम्यता को सुग्राह्य बनाते हैं। 
समीक्ष्य कृति कथ्य,शिल्प, अभिव्यक्ति कौशल व रचना अभिप्रेत की दृष्टि से बहुत श्रेष्ठ है। इनमें सरल-मुहावरेदार भाषा व हास्य-व्यंग्य प्रधान शैली 
का सुंदर प्रयोग हुआ है। वर्तमान  समय में ऐसे प्रेरणादायी बालकथा साहित्य के सृजन की नितांत आवश्यकता है। मुझे आशा है कि गोविंद शर्मा जी भविष्य में इससे भी उत्कृष्ट बालकथा साहित्य का सृजन कर अपने पाठकों को उपकृत करेंगे।शुभकामनाओं सहित।
शुभेच्छु
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’
पता-
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258, मस्जिद वाली गली, 
तेलियान मोहल्ला,नजदीक सदर बाजार सिरसा-125055(हरि.) संपर्क–094145-37902,070155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com